परमेश्वर हमारे साथ है!
क्रिसमस यीशु का जन्मदिन है! हर साल 25 दिसंबर को, दुनिया भर में लोग यीशु के जन्म का जश्न मनाते हैं। परमेश्वर मनुष्य बनकर पृथ्वी पर हमें बचाने के लिए आया, इसलिए हम ख़ुशी मनातें हैं और यही क्रिसमस का सन्देश है!
यीशु पैदा हुआ है!
(18) येशु मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ। उनकी माता मरियम की मँगनी यूसुफ से हुई थी, परन्तु ऐसा हुआ कि उनके एक साथ रहने से पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती पाई गई।
(19) उसका पति यूसुफ चुपके से उसका परित्याग करने की सोच रहा था, क्योंकि वह धर्मी था और मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था।
(20) वह इस पर विचार कर ही रहा था कि उसे स्वप्न में प्रभु का दूत दिखाई दिया। दूत ने उससे कहा, “यूसुफ! दाऊद के वंशज! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने में नहीं डरें, क्योंकि उनके जो गर्भ है, वह पवित्र आत्मा से है।
(21) वह पुत्र को जन्म देंगी और आप उसका नाम येशु रखेंगे, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।”
(22) यह सब इसलिए हुआ कि नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाए :
(23) “देखो, एक कुंवारी गर्भवती होगी और पुत्र को जन्म देगी, और उसका नाम ‘इम्मानुएल’ रखा जाएगा” − जिसका अर्थ है, “परमेश्वर हमारे साथ है।”
(24) यूसुफ नींद से उठ कर प्रभु के दूत की आज्ञानुसार अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया;
(25) किन्तु यूसुफ ने उससे तब तक संसर्ग नहीं किया, जब तक उसने पुत्र को जन्म नहीं दिया। यूसुफ ने पुत्र का नाम येशु रखा।
यूसुफ ने मरियम से अपनी सगाई क्यों नही तोड़ी?
(26) छठे महीने स्वर्गदूत गब्रिएल परमेश्वर की ओर से, गलील प्रदेश के नासरत नामक नगर में एक कुँआरी के पास भेजा गया,
(27) जिसकी मंगनी राजा दाऊद के वंशज यूसुफ़ नामक पुरुष से हुई थी। उस कुँआरी का नाम मरियम था।
(28) स्वर्गदूत ने उसके पास आ कर उससे कहा, “प्रणाम, प्रभु की कृपापात्री! प्रभु आपके साथ है।”
(29) वह इस कथन से बहुत घबरा गयी और मन में सोचने लगी कि इस प्रणाम का अर्थ क्या है।
(30) तब स्वर्गदूत ने उससे कहा, “मरियम! डरिए नहीं। परमेश्वर ने आप पर कृपा की है।
(31) देखिए, आप गर्भवती होंगी, और एक पुत्र को जन्म देंगी और उसका नाम ‘येशु’ रखेंगी।
(32) वह महान होगा और सर्वोच्च परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। प्रभु परमेश्वर उसे उसके पूर्वज दाऊद का सिंहासन प्रदान करेगा।
(33) वह याकूब के वंश पर सदा-सर्वदा राज्य करेगा और उसके राज्य का अन्त कभी नहीं होगा।”
मरियम को कैसे पता चला कि उसे एक बच्चा होगा?
(34) मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, “यह कैसे सम्भव होगा? क्योंकि मैं पुरुष को नहीं जानती।”
(35) स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा आप पर उतरेगा और सर्वोच्च परमेश्वर का सामर्थ्य आप पर छाया करेगा। इसलिए जो आप से उत्पन्न होगा, वह पवित्र होगा और परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।
(36) देखिए, बुढ़ापे में आपकी कुटुम्बिनी एलीशेबा को भी पुत्र होने वाला है। अब उसका, जो बाँझ कहलाती थी, छठा महीना हो रहा है;
(37) क्योंकि परमेश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।”
(38) मरियम ने कहा, “देखिए, मैं प्रभु की दासी हूँ। आपके कथन के अनुसार मेरे लिए हो।” तब स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।
किन तरीकों से यीशु का जन्म अलौकिक था?
(5) जिससे वह अपनी गर्भवती पत्नी मरियम के साथ नाम लिखवाए।
(6) जब वे वहीं थे तब मरियम के गर्भ के दिन पूरे हो गये;
(7) और उसने अपने पहिलौठे पुत्र को जन्म दिया और उसे कपड़ों में लपेट कर चरनी में लिटा दिया; क्योंकि उनके लिए सराय में जगह नहीं थी।
यीशु के जन्म की परिस्थितियों का वर्णन करें।
यीशु का जन्म के बारे में कई भविष्यवाणियां हुई थीं।
यशायाह 7:14 (HINDICL-BSI)
अत: स्वयं स्वामी तुम्हें एक संकेत-चिह्न देगा: देखो, एक कन्या गर्भवती होगी और वह एक पुत्र को जन्म देगी। वह उसका नाम ‘इम्मानुएल’ रखेगी।
यशायाह 9:6 (HINDICL-BSI)
देखो, हमारे लिए एक बालक का जन्म हुआ है; हमें एक पुत्र दिया गया है। राज-सत्ता उसके कंधों पर है। उसका यह नाम रखा जाएगा : ‘अद्भुत् परामर्शदाता’, ‘शक्तिमान ईश्वर’, ‘शाश्वत पिता’, ‘शान्ति का शासक’।
हमें इन आयतों से यीशु के जन्म के बारे में क्या पता चलता है?
परमेश्वर हमारे साथ है!
“देखो, एक कुंवारी गर्भवती होगी और पुत्र को जन्म देगी, और उसका नाम ‘इम्मानुएल’ रखा जाएगा” − जिसका अर्थ है, “परमेश्वर हमारे साथ है।”
“इम्मानुएल” नाम महत्वपूर्ण क्यों है?
वह पुत्र को जन्म देंगी और आप उसका नाम येशु रखेंगे, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।”
“यीशु” नाम का अर्थ क्या है?
(16) “परमेश्वर ने संसार से इतना प्रेम किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करता है, वह नष्ट न हो, बल्कि शाश्वत जीवन प्राप्त करे।
(17) परमेश्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराए। उसने उसे इसलिए भेजा है, कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।
परमेश्वर ने यीशु को दुनिया में क्यों भेजा?
दोस्त से पूछें
- आपके जीवन में क्रिसमस का क्या महत्त्व है?
- क्या आपके पास यीशु और उसके जन्म के बारे में कोई अन्य प्रष्न हैं?
- ईसाई लोग ईस्टर भी मनाते हैं। आप ईस्टर के बारे में क्या जानते हैं?
आवेदन
- इस क्रिसमस पर यीशु का जन्मदिन मनाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
- क्या इस क्रिसमस पर आप (प्रार्थना के माध्यम से) परमेश्वर को प्राप्त करना चाहेंगे?
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, मै आपको धन्यवाद देता हूँ कि आप एक मनुष्य बनें और आपने एक आदर्श जीवन जीया । धन्यवाद देता हूँ कि हमें हमारे पापों से बचाने के लिए आप पृथ्वी पर आये। यीशु, मै आपसे प्रेम करता हूँ!
प्रमुख पध
“देखो, एक कुंवारी गर्भवती होगी और पुत्र को जन्म देगी, और उसका नाम ‘इम्मानुएल’ रखा जाएगा” − जिसका अर्थ है, “परमेश्वर हमारे साथ है।”