विजय के लिए रणनीतियाँ
हमारा शत्रु, शैतान हमें परमेश्वर के वचन पर संदेह करके हमें हतोत्साहित करना चाहता है। हमें यह हमेशा ध्यान रखना होगा कि हमारा दुश्मन पहले ही यीशु से हार चुका है और हमारे ऊपर उसकी कोई शक्ति प्रबल नहीं है। हालांकि, हमें उसकी योजनाओं के प्रति जागरूक रहने और कुछ रणनीतियों का उपयोग करने की आवश्यकता है।
हमारा पराजित शत्रु
शैतान क्या करने की कोशिश करता है?
“चोर केवल चुराने, मारने और नष्ट करने आता है। मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करें− बल्कि प्रचुरता से जीवन प्राप्त करें।
(13) येशु ने उन से कहा, “क्या तुम यह दृष्टान्त नहीं समझते? तो अन्य दृष्टान्तों को कैसे समझोगे?
(14) बोने वाला परमेश्वर का वचन बोता है।
(15) जो मार्ग के किनारे हैं, जहाँ वचन बोया जाता है : ये वे लोग हैं जिन्होंने परमेश्वर का वचन सुना, परन्तु शैतान तुरन्त ही आकर वह वचन ले जाता है, जो उन में बोया गया है।
इस युग-संसार के देवता ने अविश्वासियों का मन इतना अन्धा कर दिया है कि वे परमेश्वर के प्रतिरूप, अर्थात् मसीह के तेजोमय शुभ समाचार की ज्योति को देखने में असमर्थ हैं।
साथ ही विश्वास की ढाल धारण किये रहें। उस से आप दुष्ट के सब अग्निमय बाण बुझा सकेंगे।
हमें क्यों भरोसा रखना चाहिए कि शैतान हमें चोट नहीं पहुँचा सकता है?
मैंने तुम्हें साँपों, बिच्छुओं और बैरी की सारी शक्ति को कुचलने का सामर्थ्य दिया है। कुछ भी तुम्हें हानि नहीं पहुँचा सकेगा।
(9) हम उन बातों के विषय में बोलते हैं, जिनके सम्बन्ध में धर्मग्रन्थ यह कहता है, “परमेश्वर ने अपने भक्तों के लिए जो तैयार किया है, उस को किसी ने कभी देखा नहीं, किसी ने सुना नहीं, और न कोई उसकी कल्पना ही कर पाया।”
(10) परमेश्वर ने अपने आत्मा द्वारा हम पर वही प्रकट किया है, क्योंकि आत्मा सब कुछ की, परमेश्वर के रहस्य की भी, थाह लेता है।
(11) मनुष्य की निजी आत्मा के अतिरिक्त कौन किसी का अन्तरतम जानता है? इसी तरह परमेश्वर के आत्मा के अतिरिक्त कोई भी परमेश्वर का अन्तरतम नहीं जानता।
डटे रहो
निम्नलिखित वचनों के अनुसार, हम शैतान के खिलाफ डटे रहने के लिए क्या कर सकते हैं?
(7) अत: आप लोग परमेश्वर के अधीन रहें। शैतान का सामना करें और वह आप के पास से भाग जायेगा।
(8) परमेश्वर के पास जायें और वह आप के पास आयेगा। पापियो! अपने हाथ शुद्ध करो। कपटियो! अपना हृदय पवित्र करो।
आप संयम रखें और जागते रहें! आपका विरोधी, शैतान, दहाड़ते हुए सिंह की तरह विचरता है और ढूँढ़ता रहता है कि किसे फाड़ खाये।
(10) अन्त में : आप-लोग प्रभु से और उनके अपार सामर्थ्य से बल ग्रहण करें।
(11) आप परमेश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें, जिससे आप शैतान की धूर्तता का सामना करने में समर्थ हों;
(12) क्योंकि हमें निरे मनुष्यों से नहीं, बल्कि वर्तमान अन्धकार के अधिपतियों, अधिकारियों तथा महाशासकों से, स्वर्गिक क्षेत्र के दुष्ट आत्माओं से ही संघर्ष करना पड़ता है।
(13) इसलिए आप परमेश्वर के अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित हों, जिससे आप दुर्दिन में शत्रु का सामना करने में समर्थ हों और अन्त तक अपना कर्त्तव्य पूरा कर विजय प्राप्त करें।
(14) आप सत्य का कमरबन्द कस कर, धार्मिकता का कवच धारण करें
(15) और शान्ति का शुभ समाचार सुनाने के लिए उत्साह की चप्पल पहन कर खड़े हों।
(16) साथ ही विश्वास की ढाल धारण किये रहें। उस से आप दुष्ट के सब अग्निमय बाण बुझा सकेंगे।
(17) इसके अतिरिक्त मुक्ति का टोप पहन लें और आत्मा की तलवार-अर्थात् परमेश्वर का वचन-ग्रहण करें।
(18) आप लोग हर समय पवित्र आत्मा में सब प्रकार की प्रार्थना तथा निवेदन करते रहें। आप लोग जागते रहें और सब सन्तों के लिए लगन से निरन्तर प्रार्थना करते रहें।
(1) उस समय आत्मा येशु को निर्जन प्रदेश में ले गया कि शैतान उनकी परीक्षा ले।
(2) येशु चालीस दिन और चालीस रात उपवास करते रहे। इसके बाद उन्हें भूख लगी।
(3) तब परीक्षक ने पास आकर उनसे कहा, “यदि आप परमेश्वर के पुत्र हैं, तो कह दीजिए कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।”
(4) येशु ने उत्तर दिया, “धर्मग्रन्थ में लिखा है : ‘मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं जीता है। बल्कि वह परमेश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीवित रहता है।’ ”
(5) तब शैतान येशु को पवित्र नगर में ले गया और उन्हें मन्दिर के शिखर पर खड़ा कर
(6) उनसे कहा, “यदि आप परमेश्वर के पुत्र हैं, तो नीचे कूद जाइए; क्योंकि धर्मग्रन्थ में लिखा है : ‘आपके विषय में परमेश्वर अपने दूतों को आदेश देगा’, और ‘वे आपको अपने हाथों पर संभाल लेंगे कि कहीं आपके पैरों को पत्थर से चोट न लगे।’ ”
(7) येशु ने उससे कहा, “यह भी धर्मग्रन्थ में लिखा है : ‘अपने प्रभु-परमेश्वर की परीक्षा मत लो।’ ”
(8) फिर शैतान उनको एक अत्यन्त ऊंचे पहाड़ पर ले गया और संसार के सभी राज्य और उनका वैभव दिखला कर
(9) उनसे बोला, “यदि आप मेरे सम्मुख घुटने टेक कर मेरी आराधना करें, तो मैं आप को यह सब दे दूँगा!”
(10) येशु ने उत्तर दिया, “हट जा, शैतान! क्योंकि धर्मग्रन्थ में लिखा है : ‘अपने प्रभु परमेश्वर की आराधना करो और केवल उसी की सेवा करो।’ ”
(11) इस पर शैतान उन्हें छोड़ कर चला गया और स्वर्गदूत आ कर उनकी सेवा-परिचर्या करने लगे।
दुश्मन के प्रलोभन से लड़ने के लिए यीशु की रणनीति क्या थी?
अच्छी लड़ाई लड़ना
1 तिमोथी 1:18 (HINDICL-BSI)
पुत्र तिमोथी! जो नबूवतें पहले तुम्हारे विषय में हो चुकी हैं, उनके अनुरूप मैं तुम्हें यह भार सौंप रहा हूँ। तुम उनसे बल ग्रहण करो और विश्वास एवं शुद्ध अन्त:करण से सज्जित हो कर अच्छी लड़ाई लड़ो।
1 तिमोथी 6:11-12 (HINDICL-BSI)
(11) परमेश्वर का सेवक होने के नाते तुम इन सब बातों से अलग रह कर धार्मिकता, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धैर्य तथा विनम्रता की साधना करो।
(12) विश्वास के उत्तम संघर्ष में संघर्ष करते रहो और उस शाश्वत जीवन पर अधिकार प्राप्त करो, जिसके लिए तुम बुलाये गये हो और जिसके विषय में तुमने बहुत-से गवाहों के सामने अपने विश्वास की उत्तम साक्षी दी है।
लड़ने के विषय मे पौलुस ने तीमुथियुस को क्या सलाह थी?
बच्चो! तुम परमेश्वर के हो और तुम ने उन लोगों पर विजय पायी है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से महान् है, जो संसार में है।
हमें जीत का विश्वास क्यों करना चाहिए?
(24) क्या आप यह नहीं जानते कि दौड़ में तो सभी प्रतियोगी दौड़ते हैं, किन्तु पुरस्कार एक को ही मिलता है? अत: आप इस प्रकार दौड़ें कि पुरस्कार प्राप्त करें।
(25) सब प्रतियोगी हर बात में संयम रखते हैं। वे नश्वर मुकुट प्राप्त करने के लिए ऐसा करते हैं, जब कि हम अनश्वर मुकुट के लिए।
(26) इसलिए मैं एक निश्चित लक्ष्य सामने रख कर दौड़ता हूँ। मैं ऐसा मुक्केबाज हूँ जो हवा में मुक्का नहीं मारता।
(27) मैं अपने शरीर को कष्ट देता हूँ और उसे वश में रखता हूँ। कहीं ऐसा न हो कि दूसरों को प्रवचन देने के बाद मैं स्वयं अयोग्य प्रमाणित होऊं।
शैतान के खिलाफ आपकी लड़ाई में किस तरह का अनुशासन और प्रशिक्षण आपकी मदद करेगा?
दोस्त से पूछें
- क्या आप शैतान के खिलाफ लड़ने की कोई कहानी हमे बता सकते हैं?
- क्या आप अपनी डटे रहने कोई की कहानी हमे बता सकते हैं?
- क्या आपके पास शैतान के विषय में कोई अन्य प्रश्न हैं?
आवेदन
- क्या ऐसा कौन सा क्षेत्र है जिसमें आपको डटे रहना है? आप यह कैसे करेंगे?
- क्या कोई ऐसी चीज़ है जिसके लिए अभी आपको दुश्मन से लड़ना है? आप यह कैसे करेंगे?
मॉडल प्रार्थना
धन्यवाद यीशु कि आपने मुझे मेरे जीवन में जीत दिलाई। मैं अपने जीवन के इस क्षेत्र में डटे रहने चाहता हूं: __________। और मैं इस क्षेत्र में शैतान के खिलाफ खड़ा हूं: __________ और मुझे पता है कि मैं यीशु के नाम की शक्ति से विजयी बन सकता हूं, आमीन।
प्रमुख पध
क्योंकि हमें निरे मनुष्यों से नहीं, बल्कि वर्तमान अन्धकार के अधिपतियों, अधिकारियों तथा महाशासकों से, स्वर्गिक क्षेत्र के दुष्ट आत्माओं से ही संघर्ष करना पड़ता है।