जिस तरह हमारे ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाले गुरुत्वाकर्षण जैसे भौतिक नियम हैं, वैसे ही बुनियादी बाइबिल सिद्धांत भी हैं जो हमें दिखाते हैं कि हम परमेश्वर से कैसे संबंधित हो सकते हैं।
परमेश्वर आपसे प्यार करता है और आपके जीवन के लिए एक अद्भुत योजना प्रदान करता है।
परमेश्वर का प्यार –
“परमेश्वर ने संसार से इतना प्रेम किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करता है, वह नष्ट न हो, बल्कि शाश्वत जीवन प्राप्त करे।
परमेश्वर ने हमें अपना प्रेम कैसे दिखाया है?
परमेश्वर की योजना –
“चोर केवल चुराने, मारने और नष्ट करने आता है। मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करें− बल्कि प्रचुरता से जीवन प्राप्त करें।
यीशु हमें क्या देने आए थे?
हम सब पापी है और परमेश्वर से अलग हुए है। इसलिए, हम अपने जीवन के लिए परमेश्वर के प्रेम और उसकी योजना को अनुभव नहीं कर सकते।
हम पापी है –
क्योंकि सब ने पाप किया और सब परमेश्वर की महिमा से वंचित हो गए हैं।
आपके विचार में पाप क्या है?
हम परमेश्वर से अलग हुए है –
रोमियों 6:23 (HINDICL-BSI)
क्योंकि पाप का वेतन मृत्यु है, किन्तु परमेश्वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्वत जीवन।
2 थिस्सलुनीकियों 1:8-9 (HINDICL-BSI)
(8) तब वह उन लोगों को दण्डित करेंगे, जो परमेश्वर को स्वीकार नहीं करते और हमारे प्रभु येशु का शुभ समाचार सुनने से इन्कार करते हैं।
(9) ऐसे लोगों को प्रभु के सान्निध्य और उनके तेजोमय सामर्थ्य से पृथक होकर अनंत विनाश का दण्ड मिलेगा।
हम परमेश्वर से कैसे और क्यों अलग हुए हैं?
हमारे और परमेश्वर के बीच के फासले की पूर्ती के लिए हम किन अन्य चीजों का उपयोग करने की कोशिश करते हैं?
यीशु मसीह हमारे पाप के लिए परमेश्वर का एकमात्र समाधान है। यीशु के द्वारा ही हम परमेश्वर के प्रेम और हमारे जीवन के लिए उसकी योजना का अनुभव करते हैं।
किन्तु हम पापी ही थे, जब मसीह हमारे लिए मरे। इससे परमेश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है।
यीशु ने हमारे लिए क्या किया?
(3) मैंने आप लोगों को सबसे पहले वह विश्वास सौंप दिया जो मुझे प्राप्त हुआ था, अर्थात धर्मग्रन्थ के अनुसार मसीह हमारे पापों के लिए मरे,
(4) वह कबर में रखे गए और धर्मग्रन्थ के अनुसार तीसरे दिन जी उठे।
(5) वह कैफा को और बाद में बारहों को दिखाई दिये।
(6) फिर वह एक ही समय पाँच सौ से अधिक भाइयों और बहिनों को दिखाई दिये। उन में से अधिकांश आज भी जीवित हैं, यद्यपि कुछ का देहान्त हो चुका है।
यीशु के मृत्यु के बाद क्या हुआ?
येशु ने कहा, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।
हम स्वर्ग में पिता से कैसे मिल सकते हैं?
हमें यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता और प्रभु के रूप में स्वीकार करना है। तब हम अपने जीवन के लिए परमेश्वर के प्रेम और उसकी योजना को जान सकते है और अनुभव कर सकते हैं।
दोस्त से पूछें
आप यीशु पर कब और क्यों विश्वास करने लगे?
उसके आने से आपके जीवन में क्या अंतर आया है?
आवेदन
हमे मसीह को ग्रहण करने की आवश्यकता है।
किन्तु जितनों ने उसे अपनाया, और उसके नाम में विश्वास किया, उन सब को उसने परमेश्वर की संतान बनने का अधिकार दिया।
हम विश्वास के द्वारा मसीह को ग्रहण कर सकते है।
(8) परमेश्वर की कृपा ने विश्वास द्वारा आप लोगों का उद्धार किया है। यह आपके किसी पुण्य का फल नहीं है। यह तो परमेश्वर का वरदान है।
(9) यह आपके किसी कर्म का पुरस्कार नहीं है और इसलिए इसका श्रेय कोई भी नहीं ले सकता।
जब हम मसीह को प्राप्त करते हैं, तो हम एक नए जन्म का अनुभव करते हैं।
(1) पिता ने हमसे कितना महान प्रेम किया है। हम परमेश्वर की सन्तान कहलाते हैं और हम वास्तव में वही हैं। संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने परमेश्वर को नहीं जाना है।
(2) प्रियो! अब हम परमेश्वर की सन्तान हैं, किन्तु यह अभी तक प्रकट नहीं हुआ कि हम क्या बनेंगे। हम इतना ही जानते कि जब मसीह प्रकट होंगे, तो हम उनके सदृश बन जायेंगे; क्योंकि हम उनको वैसा ही देखेंगे जैसा कि वह वास्तव में हैं।
(3) जो कोई मसीह से ऐसी आशा करता है, उसे वैसा ही पवित्र बनना चाहिए, जैसा कि वह पवित्र हैं।
(4) जो व्यक्ति पाप करता है, वह अधर्म का कार्य करता है; क्योंकि पाप का अर्थ है अधर्म का साथ देना।
(5) तुम जानते हो कि मसीह हमारे पाप हरने के लिए प्रकट हुए। उन में कोई पाप नहीं है।
(6) जो कोई उन में निवास करता है, वह पाप नहीं करता। जो कोई पाप करता है, उसने उन्हें नहीं देखा है और वह उन्हें नहीं जानता।
(7) बच्चो! कोई तुम्हें बहकाये नहीं। जो धर्माचरण करता है, वह मसीह की तरह धार्मिक है।
(8) जो पाप करता है, वह शैतान से है; क्योंकि शैतान प्रारम्भ से पाप करता आया है। परमेश्वर का पुत्र इसीलिए प्रकट हुआ कि वह शैतान के कार्य समाप्त कर दे।
यह एक व्यक्तिगत निर्णय हैं
मैं द्वार के सामने खड़ा हो कर खटखटाता हूँ। यदि तुम मेरी वाणी सुन कर द्वार खोलोगे, तो मैं तुम्हारे पास भीतर आ कर तुम्हारे साथ भोजन करूँगा और तुम मेरे साथ।
यदि आपने अभी तक अपने जीवन में यीशु को स्वीकार नहीं किया है, तो क्या आप उसे स्वीकार करना चाहेंगे?
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आप मुझसे प्यार करते हैं और मेरे पापों का भार चुकाने के लिए आपने मृत्यु बलिदान दिया।कृपया मेरे पापों को क्षमा करें और मेरे हृदय में आएं। धन्यवाद, यीशु।
प्रमुख पध
“परमेश्वर ने संसार से इतना प्रेम किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करता है, वह नष्ट न हो, बल्कि शाश्वत जीवन प्राप्त करे।