परमेश्वर की हमारे प्रति अयोग्य कृपा
अनुग्रह किसी बलवान द्वारा किसी अयोग्य कमज़ोर को दिखाई गयी दया है। हम एक कहानी पढ़कर ईश्वर की कृपा के बारे में जानेंगे जहां यीशु ने सचमुच एक महिला को मारे जाने से बचाया था। यीशु के माध्यम से, परमेश्वर ने हमें उनकी कृपा दिखाई और इसे हमें उपलब्ध कराया।
एक स्त्री पर यीशु की कृपा
(3) उस समय शास्त्री और फरीसी व्यभिचार में पकड़ी गयी एक स्त्री को लाए, और उसे सब लोगों के सामने खड़ा कर
(4) उन्होंने येशु से कहा, “गुरुवर! यह स्त्री व्यभिचार-कर्म में पकड़ी गयी है।
(5) व्यवस्था में मूसा ने हमें ऐसी स्त्रियों को पत्थरों से मार डालने का आदेश दिया है। आप इसके विषय में क्या कहते हैं?”
व्यवस्था के अनुसार, स्त्री को क्या सजा दी गई थी?
(6) उन्होंने येशु की परीक्षा लेने के लिए यह कहा, जिससे उन्हें उन पर दोष लगाने का कोई आधार मिले। येशु ने झुक कर उँगली से भूमि पर लिखा।
(7) जब वे उन से उत्तर देने के लिए आग्रह करते रहे, तब येशु ने सिर उठा कर उनसे कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वह इसे सब से पहले पत्थर मारे।”
(8) और वह फिर झुक कर भूमि पर लिखने लगे।
(9) यह सुन कर वे बड़ों से ले कर एक-एक करके बाहर चले गए। केवल येशु और वह स्त्री, जो उनके सामने खड़ी थी, रह गए।
यीशु ने उस स्त्री को कैसे बचाया?
(10) तब येशु ने सिर उठा कर उससे कहा, “नारी! वे लोग कहाँ हैं? क्या किसी ने भी तुम्हें दण्ड नहीं दिया?”
(11) उसने उत्तर दिया, “प्रभु! किसी ने भी नहीं।” इस पर येशु ने उससे कहा, “मैं भी तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा। जाओ और अब से फिर पाप नहीं करना।”
क्या यीशु ने उस स्त्री पर आरोप लगाया या उसे दंडित किया? उसने क्या किया?
यीशु हमारे लिए निवेदन करता है
रोमियों 3:23 (HINDICL-BSI)
क्योंकि सब ने पाप किया और सब परमेश्वर की महिमा से वंचित हो गए हैं।
रोमियों 6:23 (HINDICL-BSI)
क्योंकि पाप का वेतन मृत्यु है, किन्तु परमेश्वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्वत जीवन।
हम किस बात के दोषी हैं? हम किस लायक हैं?
किन्तु हम पापी ही थे, जब मसीह हमारे लिए मरे। इससे परमेश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है।
किस तरह और कब परमेश्वर ने हमारे लिए अपना महान प्रेम दिखाया?
(13) आप लोग पापों के कारण और अपने स्वभाव के खतने के अभाव के कारण मर गये थे। परमेश्वर ने आप लोगों को मसीह के साथ पुनर्जीवित किया है। उसने हमारे सब अपराधों को क्षमा किया है।
(14) उसने हमें दोषी ठहराने वाले दस्तावेज को रद्द कर दिया, जो विधि-नियमों के कारण हमारे विरुद्ध था, और उसे क्रूस पर ठोंक कर उठा दिया है।
(15) उसने प्रत्येक आधिपत्य और अधिकार को अपदस्थ किया, संसार की दृष्टि में उन को नीचा दिखाया और क्रूस की विजय-यात्रा में उन्हें बन्दियों के समान घुमाया।
यीशु ने हमारे पापों का क्या किया?
(14) हमारे अपने एक महान् महापुरोहित हैं, अर्थात् परमेश्वर-पुत्र येशु जो ऊध्र्वलोक को पार कर चुके हैं। इसलिए हम अपने विश्वास-वचन में सुदृढ़ रहें।
(15) हमारे महापुरोहित हमारी दुर्बलताओं में हम से सहानुभूति रख सकते हैं, क्योंकि पाप को छोड़ कर सभी बातों में हमारी ही तरह उनकी परीक्षा ली गयी है।
(16) इसलिए हम पूर्ण भरोसे के साथ अनुग्रह के सिंहासन के पास जायें, जिससे हमें दया मिले और हम वह कृपा प्राप्त करें, जो हमारी आवश्यकताओं में हमारी सहायता करेगी।
What makes Jesus such a great mediator for us?
We Are Saved by Grace
(22) परमेश्वर के इस विधान में मुक्ति येशु मसीह में विश्वास करने से प्राप्त होती है और यह मुक्ति उन सब के लिए है, जो विश्वास करते हैं। अब भेद-भाव नहीं रहा।
(23) क्योंकि सब ने पाप किया और सब परमेश्वर की महिमा से वंचित हो गए हैं।
(24) परमेश्वर की कृपा से सब मुफ्त में उस पापमुक्ति के द्वारा धार्मिक ठहराए जाते हैं, जो येशु मसीह में प्राप्त होती है।
(25) परमेश्वर ने चाहा कि येशु अपना रक्त बहा कर पाप का प्रायश्चित करें, जिसका फल विश्वास द्वारा प्राप्त होता है। परमेश्वर ने इस प्रकार अपनी धार्मिकता का प्रमाण दिया; क्योंकि उसने अपनी सहनशीलता के अनुरूप पिछले युगों के पापों को अनदेखा कर दिया था।
(26) उसने इस युग में अपनी धार्मिकता का प्रमाण देना चाहा, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि वह स्वयं धार्मिक है और उन सब को धार्मिक ठहराता है, जो येशु में विश्वास करते हैं।
परमेश्वर हमें कैसे स्वीकार करता है?
(1) जो लोग येशु मसीह से संयुक्त हैं, उनके लिए अब कोई दण्डाज्ञा नहीं रह गयी है;
(2) क्योंकि, ओ मनुष्य! पवित्र आत्मा के विधान ने, जो येशु मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है, तुझ को पाप तथा मृत्यु के नियम से मुक्त कर दिया है।
यीशु की जीत का हमारे लिए क्या अर्थ रखती है?
यीशु ने उस स्त्री से कहा, “फिर पाप न करना।”
उसने उत्तर दिया, “प्रभु! किसी ने भी नहीं।” इस पर येशु ने उससे कहा, “मैं भी तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा। जाओ और अब से फिर पाप नहीं करना।”
पश्चात्ताप का उचित फल उत्पन्न करो
परमेश्वर की कृपा प्राप्त करने के बाद हमें कैसे जीना चाहिए?
दोस्त से पूछें
- क्या आप बता सकते हैं की परमेश्वर ने कैसे आप पर अपनी कृपा दिखाई है?
- क्या आपके पास अनुग्रह के बारे में कोई अन्य प्रश्न है?
आवेदन
- कहानी में किन तरीकों से हम उस स्त्री की तरह हैं?
- हम ईश्वर की कृपा कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
- परमेश्वर की कृपा हमारे जीवन को कैसे बदलती है?
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, मैं आपकी कृपा के लिए धन्यवाद देता हूं। मेरे पापों की सजा से मुझे बचाने के लिए धन्यवाद। मै आपकी कृपा, क्षमा, जीवन और स्वतंत्रता को स्वीकार करता हूँ।
प्रमुख पध
क्योंकि सब ने पाप किया और सब परमेश्वर की महिमा से वंचित हो गए हैं। परमेश्वर की कृपा से सब मुफ्त में उस पापमुक्ति के द्वारा धार्मिक ठहराए जाते हैं, जो येशु मसीह में प्राप्त होती है।