दूसरों को प्राथमिकता देना
बाइबल के माध्यम से, परमेश्वर हमें सिखाता है कि अच्छे रिश्ते कैसे होते हैं। बेशक, यह दूसरों को बदलने के बारे में नहीं है, बल्कि बेहतर परिवार के सदस्य, दोस्त या जीवन साथी बनने के लिए खुद को बदलने के बारे में है। हमें दूसरों को खुद से अधिक महत्वपूर्ण समझने के बारे में सीखना होगा।
अच्छे रिश्तों के सिद्धांत
“इसलिए चिन्ता मत करो। यह मत कहो कि हम क्या खाएँगे, क्या पियेंगे, क्या पहनेंगे।
हमें दूसरों के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए?
(3) आप दलबन्दी तथा मिथ्याभिमान से दूर रहें। हर व्यक्ति नम्रतापूर्वक दूसरों को अपने से श्रेष्ठ समझे।
(4) कोई भी केवल अपने हित का नहीं, बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।
अच्छे रिश्ते बनाने के लिए ये वचन आपकी मदद कैसे कर सकते हैं?
परिवार का एक अच्छा सदस्य होने के नाते
परमेश्वर उन लोगों के लिए एक धन्य जीवन का वादा करता है जो अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं (इफिसियों 6:1-3)
(1) बच्चो! प्रभु में अपने माता-पिता की आज्ञा मानो, क्योंकि यह उचित है।
(2) “अपने माता-पिता का आदर करो।” यह पहली ऐसी आज्ञा है जिसके साथ एक प्रतिज्ञा भी जुड़ी हुई है,
(3) जो इस प्रकार है, “जिससे तुम्हारा कल्याण हो और तुम बहुत दिनों तक पृथ्वी पर जीते रहो।”
(22) मेरे पुत्र, जिसने तुझे उत्पन्न किया है, उस पिता की बात पर ध्यान देना; जब तेरी मां बूढ़ी हो जाए तब भी उसकी उपेक्षा मत करना।
(23) सच्चाई को बेचना नहीं, वरन् उसको खरीदना; बुद्धि, शिक्षा और समझ को मोल लेना।
(24) धार्मिक पुत्र का पिता उसके कारण अत्यन्त आनन्द मनाता है, निस्सन्देह जिस पिता ने बुद्धिमान पुत्र को उत्पन्न किया है, वह हर्षित होता है।
(25) मेरे पुत्र, तेरे कारण तेरे माता-पिता आनन्द मनाएँ; तुझे जन्म देनेवाली मां हर्षित हो।
हम अपने माता-पिता को खुश करने के लिए क्या कर सकते हैं?
एक अच्छा मित्र होने के नाते
एक अच्छा दोस्त होने के बारे में हम इन नीतिवचनों से क्या सीख सकते हैं?
कुटिल मनुष्य झगड़ा उत्पन्न करता है, कानाफूसी करनेवाला घनिष्ठ मित्रों में भी फूट डाल देता है।
जो मनुष्य दूसरे के अपराध क्षमा करता है, वह प्रेम का खोजी कहलाता है; पर दूसरों की बातें यहाँ-वहाँ फैलानेवाला मित्रों में फूट कराता है।
सच्चा मित्र सब समय मित्रता निभाता है, वह संकट-काल में भाई बन जाता है।
कुछ मित्र ऐसे होते हैं, जो मित्र होने का ढोंग करते हैं; किन्तु कोई ऐसा भी मित्र होता है जो भाई से बढ़कर अपना होता है।
तेल और इत्र से हृदय प्रसन्न होता है; किन्तु संकट से मन घबरा जाता है।
लोहे पर धार लोहे से ही होती है; ऐसे ही मनुष्य, मनुष्य को सुधारता है।
धोखा न खाइए; बुरी संगति उत्तम चरित्र को भी नष्ट कर देती है।
दोस्तों को चुनने के बारे में और अच्छे दोस्त होने के बारे में हमें इस वचन से क्या सीख मिलती है?
एक अच्छा जीवन साथी बनना
(21) हम मसीह के प्रति श्रद्धा-भक्ति रखने के कारण एक दूसरे के अधीन रहें।
(22) पत्नियो! जैसे प्रभु के अधीन वैसे ही आप अपने-अपने पति के अधीन रहें।
(23) क्योंकि पति उसी तरह पत्नी का शीर्ष है, जिस तरह मसीह कलीसिया का शीर्ष हैं और स्वयं अपनी उस देह के मुक्तिदाता हैं।
(24) जिस तरह कलीसिया मसीह के अधीन रहती है, उसी तरह पत्नी को भी सब बातों में अपने पति के अधीन रहना चाहिए।
(25) पतियो! आप अपनी पत्नी से उसी तरह प्रेम रखें, जिस तरह मसीह ने कलीसिया से प्रेम किया। उन्होंने उसके लिए अपने को अर्पित किया,
(26) जिससे वह उसे वचन तथा जल के स्नान द्वारा शुद्ध कर पवित्र बना सकें;
(27) क्योंकि वह एक ऐसी कलीसिया अपने सामने उपस्थित करना चाहते थे जो महिमामय हो, जिस में न दाग हो, न झुर्री और न कोई दूसरा दोष, वरन् जो पवित्र और निष्कलंक हो।
(28) इसी प्रकार उचित है कि पति अपनी पत्नी से प्रेम करे, मानो वह उसकी अपनी देह है। क्योंकि जो अपनी पत्नी से प्रेम करता है, वह अपने आपसे प्रेम करता है।
(29) कोई अपने शरीर से बैर नहीं करता; वरन् वह उसका पालन-पोषण करता और उसकी देख-भाल करता रहता है। मसीह कलीसिया के साथ ऐसा ही करते हैं,
(30) क्योंकि हम उनकी देह के अंग हैं।
(31) धर्मग्रन्थ में लिखा है, “इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक देह होंगे।”
(32) यह एक महान रहस्य है-यह मैं मसीह और कलीसिया के संदर्भ में कह रहा हूं।
(33) जो भी हो, आप लोगों में हर एक पति अपनी पत्नी को अपने समान प्रेम करे और पत्नी अपने पति का आदर-सम्मान करे।
एक अच्छा पति या पत्नी होने के लिए हमें किस तरह की विशेषताओं की आवश्यकता है?
(1-2) भाइयो और बहिनो! आप लोग अच्छी तरह जानते हैं कि प्रभु का दिन, रात के चोर की तरह, आयेगा। इसलिए इसके निश्चित समय के विषय में आप को कुछ लिखने की कोई आवश्यकता नहीं है।
जो हमारे जीवन साथी नहीं हैं, उन अन्य पुरुषों और महिलाओं के साथ हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए?
दोस्त से पूछें
- क्या आपने किसी पारिवारिक रिश्ते को ठीक करने के लिए कुछ कदम उठाया है? क्या आप हमें इस बारे मे कोई कहानी बता सकते हैं?
- क्या आपके पास कोई ऐसी कहानी है जिसमे अपनी दोस्ती को बेहतर बनाने के लिए अपने कुछ किया हो?
- क्या आपके पास रिश्तों के विषय में कोई अन्य प्रश्न हैं?
आवेदन
- आप अपने रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकते हैं?
- एक अच्छा दोस्त बनने के लिए आप इस सप्ताह क्या कर सकते हैं?
- हम नए दोस्त कैसे बना सकते हैं?
- एक अच्छा जीवनसाथी बनने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
घर का पाठ: आवेदन अनुभाग से कुछ चीजों को करने कि कोशिश करें और अगले सप्ताह इन पर वापस रिपोर्ट करें।
मॉडल प्रार्थना
प्रिय परमेश्वर, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आप चाहते हैं कि मेरे रिश्ते अच्छे हों और बाइबिल में आपने मुझे दिखाया है कि रिश्ते अच्छे कैसे हो सकते हैं। मैं अपने सभी रिश्तों को आपके सम्मुख रख देता हूं।2
प्रमुख पध2
आप दलबन्दी तथा मिथ्याभिमान से दूर रहें। हर व्यक्ति नम्रतापूर्वक दूसरों को अपने से श्रेष्ठ समझे। कोई भी केवल अपने हित का नहीं, बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।