हमारा अनन्त घर
स्वर्ग एक वास्तविक और अद्भुत जगह है! उन लोगों के लिए जो यीशु पर विश्वास करके परमेश्वर के निमंत्रण को स्वीकार करते हैं, स्वर्गलोक हमारे भविष्य को होने वाला घर है जहाँ हम हमेशा के लिए ईश्वर की उपस्थिति में रहेंगे। स्वर्गलोक में कैसे पहुंचा जाए, इस विषय की सच्चाई इतनी अद्भुत है कि हमें इसे दूसरों के साथ बाटनी चाहिए।
स्वर्ग में एक वास्तविक, अनन्त घर
येशु ने उससे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, तुम आज ही स्वर्गधाम में मेरे साथ होगे।”
यीशु स्वर्ग का वर्णन कैसे करतें हैं?
हम स्वर्ग की आशा क्यों कर सकते हैं?
(20) परन्तु स्वर्ग में अपने लिये धन जमा करो, जहाँ न तो मोरचा लगता है, न कीड़े खाते हैं और न चोर सेंध लगा कर चुराते हैं।
(21) क्योंकि जहाँ तुम्हारा धन है, वहीं तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।
मेरे पिता के यहाँ बहुत निवास-स्थान हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो मैं तुम्हें बता देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिए स्थान का प्रबन्ध करने जा रहा हूँ।
(1) हम जानते हैं कि जब यह तम्बू, पृथ्वी पर हमारा यह घर, गिरा दिया जायेगा तो हमें परमेश्वर द्वारा निर्मित एक निवास मिलेगा। वह एक ऐसा घर है, जो हाथ का बना हुआ नहीं है और अनन्तकाल तक स्वर्ग में बना रहेगा।
(2) इसलिए हम इस शरीर में कराहते रहते और उसके ऊपर अपना स्वर्गिक निवास धारण करने की तीव्र अभिलाषा करते हैं,
(1) यदि आप लोग मसीह के साथ ही जी उठे हैं, तो स्वर्ग की वस्तुएं खोजते रहें, जहाँ मसीह परमेश्वर की दाहिनी ओर विराजमान हैं।
(2) आप संसार की नहीं, स्वर्ग की वस्तुओं की चिन्ता किया करें।
जो विरासत आप लोगों के लिए स्वर्ग में रखी हुई है, वह अक्षय, अदूषित तथा अविनाशी है।
(1) तब मैंने एक नया आकाश और एक नयी पृथ्वी देखी। पुराना आकाश तथा पुरानी पृथ्वी, दोनो लुप्त हो गये थे और समुद्र भी नहीं रह गया था।
(2) मैंने पवित्र नगरी, नवीन यरूशलेम को परमेश्वर के यहाँ से आकाश में उतरते देखा। वह अपने दूल्हे के लिए सजायी हुई दुलहन की तरह अलंकृत थी।
(3) तब मुझे सिंहासन से एक गम्भीर वाणी यह कहते सुनाई पड़ी, “देखो, यह है मनुष्यों के बीच परमेश्वर का निवास! वह उनके बीच निवास करेगा। वे उसकी प्रजा होंगे और परमेश्वर स्वयं उनके बीच रह कर उनका अपना परमेश्वर होगा।
(4) वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा। इसके बाद न मृत्यु रहेगी, न शोक, न विलाप और न दु:ख, क्योंकि पुरानी बातें बीत चुकी हैं।”
(5) तब सिंहासन पर विराजमान व्यक्ति ने कहा, “देखो, मैं सब कुछ नया कर रहा हूँ।” इसके बाद उसने कहा, “ये बातें लिखो, क्योंकि ये विश्वसनीय और सत्य हैं।”
परमेश्वर का निमंत्रण, हमारी इच्छा
हालाँकि परमेश्वर चाहता है कि हर कोई स्वर्ग जाए, हम स्वर्ग में नहीं जा सकते जब तक कि परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता सही न हो।
2 पतरस 3:9 (HINDICL-BSI)
प्रभु अपनी प्रतिज्ञाएँ पूरी करने में विलम्ब नहीं करता, जैसा कि कुछ लोग समझते हैं; किन्तु वह आप लोगों के प्रति सहनशील है और यह चाहता है कि किसी का सर्वनाश नहीं हो, बल्कि सबको पश्चात्ताप करने का अवसर मिले।
मत्ती 5:20 (HINDICL-BSI)
मैं तुम लोगों से कहता हूँ, यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से गहरी नहीं हुई, तो तुम स्वर्गराज्य में प्रवेश नहीं कर सकोगे।
मारकुस 9:47-48 (HINDICL-BSI)
(47) अच्छा यही है कि तुम काने हो कर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करो, किन्तु दोनों आँखों के रहते नरक में न डाले जाओ,
(48) जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और न आग बुझती है।
मत्ती 13:40-43 (HINDICL-BSI)
(40) जिस तरह लोग जंगली बीज के पौधे एकत्र कर आग में जला देते हैं, वैसा ही संसार के अन्त में होगा।
(41) मानव-पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य के सब बाधक तत्वों और कुकर्मियों को एकत्र कर
(42) आग के कुण्ड में झोंक देंगे। वहाँ वे लोग रोएँगे और दाँत पीसते रहेंगे।
(43) तब धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की तरह चमकेंगे। जिसके कान हों, वह सुन ले।
अगर हम स्वर्ग नहीं जाते हैं तो हम किस तरह की जगह पर जाएंगे?
(13) “सँकरे द्वार से प्रवेश करो। चौड़ा है वह फाटक और विस्तृत है वह मार्ग, जो विनाश की ओर ले जाता है। उस पर चलने वालों की संख्या बड़ी है।
(14) किन्तु सँकरा है वह द्वार और संकीर्ण है वह मार्ग, जो जीवन की ओर ले जाता है। जो उसे पाते हैं, उनकी संख्या थोड़ी है।
किस तरह से यह हमारी इच्छा पर निर्भर करता है कि हम स्वर्ग जाएँगे या नरक?
सकेत मार्ग का अनुसरण करने” का क्या अर्थ है?
येशु ने कहा, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।
दूसरों को बताना
मत्ती 28:18-20 (HINDICL-BSI)
(18) तब येशु ने उनके पास आकर कहा, “मुझे स्वर्ग में और पृथ्वी पर पूरा अधिकार दिया गया है।
(19) इसलिए तुम जा कर सब जातियों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो।
(20) मैंने तुम्हें जो-जो आदेश दिये हैं, उन सबका पालन करना उन्हें सिखाओ। देखो, मैं संसार के अन्त तक सदा तुम्हारे साथ हूँ।”
प्रेरितों 4:20 (HINDICL-BSI)
क्योंकि हमने जो देखा और सुना है, उसके विषय में नहीं बोलना हमारे लिए सम्भव नहीं।”
अगर हम दूसरों को स्वर्ग के बारे में न बताएँ और वहां पहुंचने का रास्ते के बारे में ना बताये तो यह गलत क्यों होगा?
(19) “एक धनवान मनुष्य था। वह राजसी बैंगनी वस्त्र और मलमल पहनता था, और प्रतिदिन दावत उड़ाया करता था।
(20) उसके भवन के फाटक पर लाजर नामक एक गरीब आदमी पड़ा रहता था। उसका शरीर फोड़ों से भरा हुआ था।
(21) वह धनवान मनुष्य की मेज की जूठन से अपनी भूख मिटाने के लिए तरसता था। कुत्ते आ कर उसके फोड़े चाटा करते थे।
(22) वह गरीब मनुष्य एक दिन मर गया और स्वर्गदूतों ने उसे ले जा कर अब्राहम की गोद में पहुँचा दिया। धनवान मनुष्य भी मरा और उसे दफनाया गया।
(23) उसने अधोलोक में जहाँ वह यन्त्रणाएँ भोग रहा था, अपनी आँखें ऊपर उठा कर दूर से अब्राहम और उनकी गोद में लाजर को देखा।
(24) उसने पुकार कर कहा, ‘पिता अब्राहम! मुझ पर दया कीजिए और लाजर को भेजिए, जिससे वह अपनी उँगली का सिरा पानी में भिगो कर मेरी जीभ को ठंडा करे; क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूँ।’
(25) अब्राहम ने उससे कहा, ‘पुत्र, याद करो कि तुम्हें जीवन में सुख-ही-सुख मिला था और लाजर को दु:ख-ही-दु:ख। अब उसे यहाँ सान्त्वना मिल रही है और तुम्हें यंत्रणा।
(26) इसके अतिरिक्त हमारे और तुम्हारे बीच एक गहरी खाई अवस्थित है; इसलिए यदि कोई तुम्हारे पास जाना भी चाहे, तो वह नहीं जा सकता और कोई भी वहाँ से इस पार हमारे पास नहीं आ सकता।’
(27) धनवान मनुष्य ने उत्तर दिया, ‘पिता! आप से एक निवेदन है। आप लाजर को मेरे पिता के घर भेजिए,
(28) क्योंकि मेरे पाँच भाई हैं। लाजर उन्हें चेतावनी दे। कहीं ऐसा न हो कि वे भी यन्त्रणा के इस स्थान में आ जाएँ।’
(29) अब्राहम ने उससे कहा, ‘मूसा और नाबियों की पुस्तकें उनके पास हैं, वे उनकी सुनें।’
(30) धनवान मनुष्य ने कहा, ‘पिता अब्राहम! वे कहाँ सुनते हैं! परन्तु यदि मुरदों में से कोई उनके पास जाए, तो वे पश्चात्ताप करेंगे।’
(31) पर अब्राहम ने उससे कहा, ‘जब वे मूसा और नबियों की नहीं सुनते, तब यदि मुरदों में से कोई जी उठे, तो वे उसकी बात भी नहीं मानेंगे।’ ”
क्या यह कहानी आपको दूसरों को यीशु के बारे में बताने के लिए प्रेरित करती है? क्यों?
(11) “धन्य हो तुम, जब लोग मेरे कारण तुम्हारा अपमान करते हैं, तुम पर अत्याचार करते और तरह-तरह के झूठे दोष लगाते हैं।
(12) खुश हो और आनन्द मनाओ; क्योंकि स्वर्ग में तुम्हें महान पुरस्कार प्राप्त होगा। तुम्हारे पहले के नबियों पर भी उन्होंने इसी तरह अत्याचार किया था।
यीशु का अनुसरण करने और उसका सुसमाचार दूसरों को बताने के परिणामस्वरूप हम क्या देख सकते हैं?
दोस्त से पूछें
आप कैसे यकीन के साथ कह सकतें हैं कि आप स्वर्ग जायेंगे?
मरने के बाद हमारे साथ क्या होगा इस विषय में आपके पास कोई अन्य प्रश्न है?
आवेदन
दूसरे लोगों को स्वर्गराज्य पाने में हम किस तरह मदद कर सकते हैं?
मॉडल प्रार्थना
स्वर्गीय पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि स्वर्ग में मेरे लिए एक वास्तविक, सनातन घर है। अन्य लोगों को स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए मदद करने का अवसर मुझे प्रदान करें। और मैं अनंत काल तक आपकी प्रशंसा करने के लिए तत्पर हूं!
प्रमुख पध
हम जानते हैं कि जब यह तम्बू, पृथ्वी पर हमारा यह घर, गिरा दिया जायेगा तो हमें परमेश्वर द्वारा निर्मित एक निवास मिलेगा। वह एक ऐसा घर है, जो हाथ का बना हुआ नहीं है और अनन्तकाल तक स्वर्ग में बना रहेगा। इसलिए हम इस शरीर में कराहते रहते और उसके ऊपर अपना स्वर्गिक निवास धारण करने की तीव्र अभिलाषा करते हैं,