यीशु फिर से जीवित हुआ!
अच्छी खबर! यीशु फिर से जीवित हुआ! इसका मतलब है कि वह मृत्यु से अधिक शक्तिशाली है और हम उसके साथ अनंत काल तक जीने के लिए बुलाये गए हैं। हम पुनरुत्थान की इसी शक्ति में अपने अनन्त भविष्य की आशा के साथ जीवन व्यतीत कर सकते हैं!
मृत्यु पर यीशु की विजय
(57) सन्ध्या हो जाने पर अरिमतियाह नगर का एक धनी सज्जन आया। उसका नाम यूसुफ था। वह स्वयं येशु का शिष्य बन गया था।
(58) उसने पिलातुस के पास जाकर येशु का शव माँगा और पिलातुस ने आदेश दिया कि शव उसे सौंप दिया जाए।
(59) यूसुफ ने शव ले जाकर उसे स्वच्छ मलमल के कफन में लपेटा
(60) और उस नई कबर में रख दिया, जिसे उसने अपने लिए चट्टान में खुदवाया था। वह कबर के द्वार पर बड़ा पत्थर लुढ़का कर चला गया।
(61) मरियम मगदलेनी और दूसरी मरियम वहाँ कबर के सामने बैठी हुई थीं।
(62) दूसरे दिन अर्थात् शुक्रवार के बाद विश्राम दिवस पर, महापुरोहित और फरीसी एक साथ पिलातुस के यहाँ गये
(63) और बोले, “श्रीमान! हमें याद है कि उस धोखेबाज ने अपने जीवनकाल में कहा था कि मैं तीन दिन बाद जी उठूँगा।
(64) इसलिए तीसरे दिन तक कबर की सुरक्षा का आदेश दिया जाए। कहीं ऐसा न हो कि उसके शिष्य उसे चुरा कर ले जाएँ और जनता से कहें कि वह मृतकों में से जी उठा है। यह पिछला धोखा तो पहले से भी बुरा होगा।”
(65) पिलातुस ने कहा, “तुम्हारे पास पहरेदार हैं। जाओ, और जैसा उचित समझो, सुरक्षा का प्रबन्ध करो।”
(66) वे चले गये और उन्होंने कबर के मुँह पर रखे पत्थर पर मुहर लगायी और पहरा बैठा कर कबर को सुरक्षित कर दिया।
यीशु के शरीर को कैसे दफनाया और संरक्षित किया गया?
(1) विश्राम-दिवस के बाद, सप्ताह के प्रथम दिन, पौ फटते ही मरियम मगदलेनी और दूसरी मरियम कबर देखने आयीं।
(2) एकाएक भारी भूकम्प हुआ और प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा। वह कबर के पास आया और पत्थर लुढ़का कर उस पर बैठ गया।
(3) उसका मुखमण्डल बिजली की तरह चमक रहा था और उसके वस्त्र हिम के समान उज्ज्वल थे।
(4) दूत को देख कर पहरेदार थर-थर काँपने लगे और मृतक-जैसे हो गये।
(5) स्वर्गदूत ने स्त्रियों से कहा, “डरिए नहीं। मैं जानता हूँ कि आप लोग येशु को ढूँढ़ रही हैं, जो क्रूस पर चढ़ाए गये थे।
(6) वह यहाँ नहीं हैं। वह जी उठे हैं, जैसा कि उन्होंने कहा था। आइए और वह जगह देख लीजिए, जहाँ वह रखे गये थे।
(7) अब आप तुरन्त उनके शिष्यों के पास जाकर कहिए, ‘वह मृतकों में से जी उठे हैं। वह आप लोगों से पहले गलील प्रदेश जाएँगे। वहाँ आप लोग उनके दर्शन करेंगे।’ देखिए, मैंने आप लोगों को संदेश दे दिया है।”
(8) स्त्रियाँ शीघ्र ही कबर के पास से चली गयीं और विस्मय तथा बड़े आनन्द के साथ उनके शिष्यों को यह समाचार सुनाने दौड़ीं।
(9) येशु एकाएक मार्ग में उन स्त्रियों से मिले और बोले, “सुखी रहो!” वे येशु के समीप गईं और उनके चरणों को पकड़ कर उनकी वंदना की।
(10) येशु ने उनसे कहा, “डरो नहीं। जाओ और मेरे भाइयों को यह सन्देश दो कि वे गलील प्रदेश को जाएँ। वहाँ वे मेरे दर्शन करेंगे।”
रविवार की सुबह क्या हुआ?
(39) उन्होंने जो कुछ यहूदा प्रदेश और यरूशलेम में किया, उसके साक्षी हम हैं। उन्हीं येशु को लोगों ने क्रूस के काठ पर चढ़ा कर मार डाला;
(40) परन्तु परमेश्वर ने उन्हें तीसरे दिन जीवित किया और प्रत्यक्ष दिखाया −
(41) सब लोगों को नहीं, बल्कि उन सािक्षयों को, जिन्हें परमेश्वर ने पहले ही से चुन लिया था। वे साक्षी हम हैं। मृतकों में से उनके जी उठने के पश्चात् हम लोगों ने उनके साथ खाया-पिया
(42) और उन्होंने हमें आदेश दिया कि हम जनता को उपदेश दे कर घोषित करें और स्पष्ट साक्षी दें कि यह वही हैं, जिन्हें परमेश्वर ने जीवितों और मृतकों का न्यायकर्ता नियुक्त किया है।
मृत्यु के बाद यीशु ने क्या किया?
(3) मैंने आप लोगों को सबसे पहले वह विश्वास सौंप दिया जो मुझे प्राप्त हुआ था, अर्थात धर्मग्रन्थ के अनुसार मसीह हमारे पापों के लिए मरे,
(4) वह कबर में रखे गए और धर्मग्रन्थ के अनुसार तीसरे दिन जी उठे।
(5) वह कैफा को और बाद में बारहों को दिखाई दिये।
(6) फिर वह एक ही समय पाँच सौ से अधिक भाइयों और बहिनों को दिखाई दिये। उन में से अधिकांश आज भी जीवित हैं, यद्यपि कुछ का देहान्त हो चुका है।
कितने लोगों ने यीशु को फिर से जीवित देखा?
हमारी प्रतिक्रिया
(25) येशु ने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करता है, वह मरने पर भी जीवित रहेगा
(26) और जो जीवित है, तथा मुझ में विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा। क्या तुम इस बात पर विश्वास करती हो?”
हम उद्धार पाकर अनन्त जीवन कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
मसीह सब के लिए मरे, जिससे जो जीवित हैं, वे अब से अपने लिए नहीं, बल्कि उनके लिए जीवन बिताएं, जो उनके लिए मर गये और जी उठे हैं।
इस नए जीवन को प्राप्त करने पर हम अपने जीने के तरीकों को कैसे बदल सकते हैं?
यदि आप लोग मसीह के साथ ही जी उठे हैं, तो स्वर्ग की वस्तुएं खोजते रहें, जहाँ मसीह परमेश्वर की दाहिनी ओर विराजमान हैं।
इस नए जीवन को प्राप्त करने पर हम अपने सोचने के तरीकों को कैसे बदल सकते हैं?
हमारी आशा
रोमियों 4:25 (HINDICL-BSI)
वही येशु हमारे अपराधों के कारण पकड़वाये गये और हमें धार्मिक ठहराने के लिए जी उठे।
रोमियों 6:7-10 (HINDICL-BSI)
(7) क्योंकि जो मर चुका है, वह पाप की गुलामी से मुक्त हो गया है।
(8) हमें विश्वास है कि यदि हम मसीह के साथ मर गये हैं, तो हम उन्हीं के जीवन के भी भागी होंगे;
(9) क्योंकि हम जानते हैं कि मसीह मृतकों में से जी उठने के बाद फिर कभी नहीं मरेंगे। अब मृत्यु का उन पर कोई वश नहीं।
(10) जब वह मरे, तो पाप की ओर से एक बार ही मर गये; परन्तु अब वह जीवित होकर परमेश्वर के लिए ही जीते हैं।
यीशु के पुनरुत्थान का हमारे जीवन में क्या अर्थ है?
(31) और कहना ही क्या है? यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में है, तो कौन हमारे विरुद्ध होगा?
(32) उसने अपने निजी पुत्र को भी नहीं बचाया, उसने हम सब के लिए उसे समर्पित कर दिया। तो, इतना देने के बाद, क्या वह हमें अपने पुत्र के साथ सब कुछ नहीं देगा?
(33) जिन्हें परमेश्वर ने चुना है, उन पर कौन अभियोग लगा सकेगा? जिन्हें परमेश्वर ने दोष-मुक्त कर दिया है,
(34) उन्हें कौन दोषी ठहरायेगा? क्या येशु मसीह ऐसा करेंगे? वह तो मर गये, बल्कि जी उठे और परमेश्वर के दाहिने हाथ विराजमान हो कर हमारे लिए निवेदन करते रहते हैं।
(35) कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग कर सकता है? क्या विपत्ति या संकट? क्या अत्याचार, भूख, नग्नता, जोखिम या तलवार?
(36) जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है, “तेरे कारण दिन-भर हमारा वध किया जाता है। हमें वध होने वाली भेड़ जैसा समझा गया।”
(37) किन्तु इन सब बातों में हम उन्हीं के द्वारा पूर्ण विजय प्राप्त करते हैं, जिन्होंने हमसे प्रेम किया है।
हमारे कठिन परिस्तितियों में यीशु का पुनरुत्थान कैसे हमारी सहायता करता है?
1 कुरिन्थियों 6:14 (HINDICL-BSI)
परमेश्वर ने जिस तरह प्रभु को पुनर्जीवित किया, उसी तरह वह हम लोगों को भी अपने सामर्थ्य से पुनर्जीवित करेगा।
1 पतरस 1:3 (HINDICL-BSI)
धन्य है परमेश्वर, हमारे प्रभु येशु मसीह का पिता! मृतकों में से येशु मसीह के पुनरुत्थान द्वारा उसने अपनी महती दया से हमें जीवन्त आशा से परिपूर्ण नवजीवन प्रदान किया।
हम अपने भविष्य में बड़ी आशा कैसे रख सकते हैं?
दोस्त से पूछें
क्या आप पुनरुत्थान में विश्वास करते हैं?
यीशु के पुनरुत्थान के विषय में क्या आपके कोई और सवाल हैं?
आवेदन
यीशु का पुनरुत्थान आपके जीवन को कैसे बदल सकता है?
हम भविष्य के लिए किस तरह का मानसिक रवैया रख सकते हैं?
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, आप अद्भुत और शक्तिशाली हैं! मुझे आपके पुनरुत्थान पर विश्वास है और मैं आपके लिए जीऊंगा। मैं आपकी पुनरुत्थान शक्ति को ग्रहण करता हूँ और आप के साथ अनंत जीवन की आशा रखता हूँ।
प्रमुख पध
येशु ने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करता है, वह मरने पर भी जीवित रहेगा