परमेश्वर की आवाज सुनना
हम परमेश्वर से यह उम्मीद कर सकते हैं कि वो हमसे हर रोज बात करें, या जितनी बार हम बाइबल पढ़ने की आदत डालें उतनी बार बात करें। दैनिक पुस्तक हमारे उन व्यक्तिगत अनुप्रयोगों को लिखना है जिनमे हमें लगता है कि परमेश्वर का वचन हमारे जीवन में बात कर रहा है। परमेश्वर का वचन हमें प्रोत्साहित करेगा और हमें बढ़ने में मदद करेगा।
परमेश्वर का वचन
निम्नलिखित पद्य आपको परमेश्वर के वचन को पढ़ने के लिए कैसे प्रोत्साहित और प्रेरित करते हैं?
(1) धन्य है वह मनुष्य जो दुर्जनों की सम्मति पर नहीं चलता, जो पापियों के मार्ग पर खड़ा नहीं होता, और जो उपहास-प्रिय झुण्ड में नहीं बैठता;
(2) पर उसका सुख प्रभु की व्यवस्था में है, और वह दिन-रात उस का पाठ करता है।
(3) वह उस वृक्ष के समान है जो नहर के तट पर रोपा गया, जो अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते मुरझाते नहीं। जो कुछ धार्मिक मनुष्य करता है, वह सफल होता है।
क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवन्त, सशक्त और किसी भी दुधारी तलवार से तेज है। वह प्राण और आत्मा के, अथवा ग्रंथियों और मज्जा के विच्छेद तक पहुँचता और हमारे हृदय के भावों तथा विचारों को परखता है।
परमेश्वर से सुनना
येशु ने उत्तर दिया, “धर्मग्रन्थ में लिखा है : ‘मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं जीता है। बल्कि वह परमेश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीवित रहता है।’ ”
हमारे जीवन मे हर दिन के लिए हमें परमेश्वर से एक ताजा वचन मिलने कि भूख रखने की ज़रुरत है।
नीचे दिए छंदो को पढ़ें। बाइबल को कैसे पढ़ना चाहिए? हम यह कैसे कर सकते हैं उसका उदाहरण दें।
इस व्यवस्था-ग्रन्थ के शब्द तेरे मुंह से कभी अलग न हों। तू रात-दिन उसका पाठ करना, ताकि तू उसमें लिखी हुई सब बातों का पालन कर सके और उनके अनुसार कार्य कर सके। तब तू अपने मार्ग पर उन्नति करेगा, तू अपने कार्य में सफल होगा।
प्रभु, मैं तेरी ही प्रतीक्षा करता हूँ- हे स्वामी! मेरे परमेश्वर! तू ही मुझे उत्तर देगा।
(24) “जो मेरी ये बातें सुनता और उन पर चलता है, वह उस समझदार मनुष्य के सदृश है, जिसने चट्टान पर अपना घर बनवाया था।
(25) पानी बरसा, नदियों में बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और वेगपूर्वक उस घर से टकरायीं। तब भी वह घर नहीं ढहा; क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर डाली गयी थी।
(26) “जो मेरी ये बातें सुनता है, किन्तु उन पर नहीं चलता, वह उस मूर्ख के सदृश है, जिसने बालू पर अपना घर बनवाया।
(27) पानी बरसा, नदियों में बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं। वह घर ढह गया और उसका सर्वनाश हो गया।”
पूर्व दैनिक पुस्तक कि मॉडल प्रार्थना
बाइबल पढ़ने से पहले प्रार्थना करना अच्छा विचार है, “यीशु, कृपया आज मुझसे बात करें।”
दैनिक पुस्तक कार्यकलाप
नए नियम को पढ़कर शुरू करें। मारकुस की किताब बाइबल का एक बेहतरीन परिचय है।
(1) परमेश्वर के पुत्र येशु मसीह के शुभ समाचार का आरम्भ।
(2) नबी यशायाह के ग्रन्थ में लिखा है, “परमेश्वर कहता है : देखो, मैं अपने दूत को तुम्हारे आगे भेज रहा हूँ। वह तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा।
(3) निर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज : ‘प्रभु का मार्ग तैयार करो; उसके पथ सीधे कर दो।’ ”
(4) इसी के अनुसार योहन बपतिस्मादाता निर्जन प्रदेश में प्रकट हुए। वह पापक्षमा के लिए पश्चात्ताप के बपतिस्मा का उपदेश देते थे।
(5) समस्त यहूदा प्रदेश और सब यरूशलेम-निवासी योहन के पास आते और अपने पाप स्वीकार करते हुए यर्दन नदी में उन से बपतिस्मा ग्रहण करते थे।
(6) योहन ऊंट के रोओं का वस्त्र पहने और कमर में चमड़े का पट्टा बाँधे रहते थे। उनका आहार टिड्डियाँ और वन का मधु था।
(7) वह अपने उपदेश में कहते थे, “मुझ से अधिक शक्तिशाली व्यक्ति मेरे बाद आने वाले हैं। मैं तो झुक कर उनके जूते का फीता खोलने योग्य भी नहीं हूँ।
(8) मैंने तुम लोगों को जल से बपतिस्मा दिया है, परन्तु वह तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देंगे।”
(9) उन दिनों येशु गलील प्रदेश के नासरत नगर से आए। उन्होंने यर्दन नदी में योहन से बपतिस्मा ग्रहण किया।
(10) वह पानी से निकल ही रहे थे कि उन्होंने स्वर्ग को खुलते और आत्मा को अपने ऊपर कपोत के सदृश उतरते देखा
(11) और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, “तू मेरा प्रिय पुत्र है। मैं तुझ पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
(12) तुरन्त आत्मा ने येशु को निर्जन प्रदेश जाने को बाध्य किया।
(13) वह चालीस दिन निर्जन प्रदेश में रहे और शैतान ने उनकी परीक्षा ली। वह वन-पशुओं के साथ रहते थे और स्वर्गदूत उनकी सेवा-परिचर्या करते थे।
(14) योहन के गिरफ्तार हो जाने के बाद येशु गलील प्रदेश में आए और यह कहते हुए परमेश्वर के शुभ समाचार का प्रचार करने लगे, 15“समय पूरा हो चुका है। परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है। पश्चात्ताप करो और शुभ समाचार पर विश्वास करो।”
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इस पाठ के द्वारा परमेश्वर ने आपसे क्या बात किया?
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मॉडल प्रार्थना
आज के परमेश्वर के वचन से जो कुछ भी सीखा है, उसके बारे में प्रार्थना करने के लिए इस प्रार्थना समय का उपयोग करें।
प्रमुख पध
जो अच्छी भूमि में बोया गया है : यह वह है, जो वचन सुनता और समझता है और फल लाता है − कोई सौ गुना, कोई साठ गुना और कोई तीस गुना।”