बाइबल विश्वासियों के लिए न्याय की बात करती है, जिसे “मसीह के न्याय का सिंहासन” भी कहा जाता है, यहाँ परमेश्वर सच्चे विश्वासियों का पृथ्वी पर उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए पुरस्कृत करता है, चाहे वह कार्य अच्छे हो या बुरे।
क्योंकि हम-सब को मसीह के न्यायासन के सामने प्रस्तुत किया जायेगा। प्रत्येक व्यक्ति ने शरीर में रहते समय जो कुछ किया है, चाहे वह भलाई हो या बुराई, उसे उसका प्रतिफल मिलेगा।
मसीह के न्याय का सिंहासन
(13) तो हर एक का यह कार्य प्रकट किया जायेगा। न्याय का दिन, जो आग के साथ प्रदीप्त होगा, उसे प्रकट कर देगा और उस आग द्वारा हर एक के कार्य की परीक्षा ली जायेगी।
(14) जिसका निर्माण-कार्य बना रहेगा, उसे पुरस्कार मिलेगा।
(15) जिसका निर्माण-कार्य जल जायेगा, उसे पुरस्कार नहीं मिलेगा। फिर भी वह बच जायेगा, जैसे कोई आग पार कर बच जाता है।
हमारे कामों को कैसे आंका जाएगा?
बाइबल अक्सर पुरस्कारों के रूप में “मुकुट” का उल्लेख करती है। निम्नलिखित मुकुट किसके लिए प्रदान किए जाते हैं?
(25) सब प्रतियोगी हर बात में संयम रखते हैं। वे नश्वर मुकुट प्राप्त करने के लिए ऐसा करते हैं, जब कि हम अनश्वर मुकुट के लिए।
(26) इसलिए मैं एक निश्चित लक्ष्य सामने रख कर दौड़ता हूँ। मैं ऐसा मुक्केबाज हूँ जो हवा में मुक्का नहीं मारता।
(27) मैं अपने शरीर को कष्ट देता हूँ और उसे वश में रखता हूँ। कहीं ऐसा न हो कि दूसरों को प्रवचन देने के बाद मैं स्वयं अयोग्य प्रमाणित होऊं।
जीतना और आगे बढ़ना
1 थिस्सलुनीकियों 2:19-20 (HINDICL-BSI)
(19) जब हम अपने प्रभु येशु के आगमन पर उनके सामने खड़े होंगे, तो आप लोगों को छोड़ कर हमारी आशा या आनन्द या गौरवपूर्ण मुकुट और क्या हो सकता है?
(20) हमारा गौरव और आनन्द तो आप लोग ही हैं।
दानिएल 12:3 (HINDICL-BSI)
जो समझदार होंगे, वे आकाशमण्डल के उज्ज्वल नक्षत्रों के सदृश आलोकित होंगे। जिन्होंने अनेक व्यक्तियों को सद्मार्ग पर उन्मुख किया है, वे सदा-सर्वदा तारों के समान प्रकाशवान होंगे।
(7) मैं अच्छी लड़ाई लड़ चुका हूँ, अपनी दौड़ पूरी कर चुका हूँ और मैंने अब तक विश्वास को सुरक्षित रखा है।
(8) अब मेरे लिए धार्मिकता का वह मुकुट तैयार है, जिसे धर्मनिष्ठ न्यायी प्रभु मुझे “उस दिन” प्रदान करेंगे, मुझ को ही नहीं, बल्कि उन सब को जिन्होंने प्रेम के साथ उनके प्रकट होने के दिन की प्रतीक्षा की है।
याकूब 1:12 (HINDICL-BSI)
धन्य है वह, जो विपत्ति में दृढ़ बना रहता है! परीक्षा में खरा उतरने पर उसे जीवन का वह मुकुट प्राप्त होगा, जिसे प्रभु ने अपने भक्तों को देने की प्रतिज्ञा की है।
प्रकाशन 2:10 (HINDICL-BSI)
तुम्हें जो कष्ट भोगना होगा, उस से मत डरो। शैतान तुम्हारी परीक्षा लेने के उद्देश्य से तुम लोगों में से कुछ को क़ैद में डाल देगा और तुम लोग दस दिनों तक संकट में पड़े रहोगे। तुम मृत्यु तक विश्वस्त बने रहो और मैं तुम्हें जीवन का मुकुट प्रदान करूँगा।
(1) आप लोगों में जो धर्मवृद्ध हैं, उन से मेरा एक अनुरोध है। मैं भी धर्मवृद्ध हूँ, मसीह के दु:खभोग का साक्षी और भविष्य में प्रकट होने वाली महिमा का सहभागी।
(2) आप लोगों को परमेश्वर का जो झुण्ड सौंपा गया, उसका चरवाहा बनें, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार उसकी देखभाल करें-लाचारी से नहीं, बल्कि स्वेच्छा से; घिनावने लाभ के लिए नहीं, बल्कि सेवाभाव से;
(3) अपने सौंपे हुए लोगों पर अधिकार न जता कर, बल्कि झुण्ड के लिए आदर्श बन कर, यह सेवा करें।
(4) जिस समय प्रधान चरवाहा प्रकट होंगे, आप लोगों को कभी न मुरझाने वाली महिमा का मुकुट प्राप्त होगा।
(2) क्या आप नहीं जानते कि सन्त संसार का न्याय करेंगे? यदि आप को संसार का न्याय करना है, तो क्या आप छोटे-से मामलों का फ़ैसला करने योग्य नहीं हैं?
(3) क्या आप यह नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे? तो फिर साधारण जीवन के मामलों की बात ही क्या!
क्या होगा फैसला?
कम से कम चार विशिष्ट क्षेत्रों के क्षेत्र को आंका जाएगा।
1. समय
इफिसियों 5:15-17 (HINDICL-BSI)
(15) अपने आचरण का पूरा-पूरा ध्यान रखें। मूर्खों की तरह नहीं, बल्कि बुद्धिमानों की तरह चल कर।
(16) वर्तमान समय से पूरा लाभ उठायें, क्योंकि ये दिन बुरे हैं।
(17) आप लोग नासमझ न बनें, बल्कि प्रभु की इच्छा क्या है, यह पहचानें।
कुलुस्सियों 4:5 (HINDICL-BSI)
आप बाहरवालों के साथ बुद्धिमानी से व्यवहार करें। वर्तमान समय से पूरा-पूरा लाभ उठायें।
चर्चा करें कि हमें अपने समय का उपयोग कैसे करना चाहिए, और हमारे पास जो समय है, उसके साथ हमें क्या करना चाहिए?
2. धन
(11) यदि तुम सांसारिक धन में ईमानदार नहीं ठहरे, तो तुम्हें सच्चा धन कौन सौंपेगा?
(12) और यदि तुम पराये धन में ईमानदार नहीं ठहरे, तो तुम्हें तुम्हारा अपना धन कौन देगा?
(13) “कोई भी सेवक दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता; वह या तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम करेगा, या एक का आदर और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम परमेश्वर और धन−दोनों की सेवा नहीं कर सकते।”
चर्चा करें कि परमेश्वर हमसे धन का उपयोग कैसे करना चाहते हैं। सच्चा धन क्या हैं?
3. प्रयास
लूकस 19:11-26 (HINDICL-BSI)
(11) जब लोग ये बातें सुन रहे थे, तब येशु ने एक दृष्टान्त भी सुनाया; क्योंकि वह यरूशलेम के निकट थे और क्योंकि लोग यह समझ रहे थे कि परमेश्वर का राज्य तुरन्त प्रकट होने वाला है।
(12) येशु ने कहा, “एक कुलीन मनुष्य अपने लिए राजपद प्राप्त कर लौटने के विचार से दूर देश चला गया।
(13) उसने जाने से पहले अपने दस सेवकों को बुलाया और उन्हें एक-एक अशर्फी दे कर कहा, ‘मेरे लौटने तक इनसे व्यापार करो।’
(14) “उसके नगर-निवासी उस से बैर करते थे। इसलिए उन्होंने उसके पीछे एक प्रतिनिधि-मण्डल भेजा और यह कहा, ‘हम नहीं चाहते कि यह मनुष्य हम पर राज्य करे।’
(15) “वह राजपद पा कर लौटा और उसने जिन सेवकों को धन दिया था, उन्हें बुलाया और यह जानना चाहा कि प्रत्येक ने व्यापार से कितना कमाया है।
(16) पहले ने आ कर कहा, ‘स्वामी! आपकी अशर्फी से मैंने दस और अशर्फियाँ कमायी हैं।’
(17) स्वामी ने उससे कहा, ‘शाबाश, भले सेवक! तुम छोटी-से-छोटी बात में ईमानदार निकले, इसलिए तुम दस नगरों पर अधिकार करो।’
(18) दूसरे ने आ कर कहा, ‘स्वामी! आपकी अशर्फी से मैंने पाँच और अशर्फियाँ कमायी हैं।’
(19) स्वामी ने उससे भी कहा, ‘तुम पाँच नगरों पर शासन करो।’
(20) अब तीसरे ने आ कर कहा, ‘स्वामी! देखिए, यह है आपकी अशर्फी। मैंने इसे एक अँगोछे में बाँध रखा था।
(21) मैं आप से डरता था, क्योंकि आप निर्दय व्यक्ति हैं। आपने जो जमा नहीं किया, उसे आप निकालते हैं और जो नहीं बोया, उसे काटते हैं!’
(22) स्वामी ने उससे कहा, ‘दुष्ट सेवक! मैं तेरे ही शब्दों से तेरा न्याय करूँगा। तू जानता था कि मैं निर्दय व्यक्ति हूँ। मैंने जो जमा नहीं किया, उसे निकालता हूँ और जो नहीं बोया, उसे काटता हूँ।
(23) तो, तूने मेरा धन महाजन के यहाँ क्यों नहीं रख दिया? तब मैं लौट कर उसे ब्याज सहित प्राप्त कर लेता।’
(24) और स्वामी ने वहाँ उपस्थित लोगों से कहा, ‘इस से यह अशर्फी ले लो और जिसके पास दस अशर्फियाँ हैं, उस को दे दो।’
(25) उन्होंने उससे कहा, ‘स्वामी! उसके पास तो दस अशर्फियाँ हैं।’
(26) “स्वामी बोला, ‘मैं तुम से कहता हूँ : जिसके पास है, उस को और दिया जाएगा; लेकिन जिसके पास नहीं है उससे वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके पास है।
2 तिमोथी 1:6 (HINDICL-BSI)
इसी कारण मैं तुम्हें स्मरण दिलाता हूँ कि तुम परमेश्वर के वरदान की वह ज्वाला प्रज्वलित बनाये रखो, जो मेरे हाथों के आरोपण से तुम में विद्यमान है।
चर्चा करें कि हमारे संसाधनों और प्रयास के आधार पर हमें कैसे आंका जाएगा।
4. ज़िम्मेदारी
विश्वासियों—
मत्ती 13:12 (HINDICL-BSI)
क्योंकि जिसके पास है, उसी को और दिया जाएगा और उसके पास बहुत हो जाएगा। लेकिन जिसके पास नहीं है, उससे वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके पास है।
लूकस 12:47-48 (HINDICL-BSI)
(47) “अपने स्वामी की इच्छा जान कर भी जिस सेवक ने कुछ तैयार नहीं किया और न उसकी इच्छा के अनुसार काम किया, वह बहुत मार खाएगा।
(48) परन्तु जिसने अनजाने ही मार खाने का काम किया, वह थोड़ी मार खाएगा। जिसे बहुत दिया गया है, उस से बहुत माँगा जाएगा और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से और अधिक ले लिया जाएगा।
विश्वासियों को अपनी जिम्मेदारी कैसे निभानी चाहिए?
शिक्षक —
मत्ती 5:19 (HINDICL-BSI)
इसलिए जो उन छोटी-से-छोटी आज्ञाओं में से एक को भी भंग करता और दूसरों को ऐसा करना सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में सबसे छोटा समझा जाएगा। किन्तु जो उनका पालन करता और उन्हें सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में बड़ा समझा जाएगा।
इब्रानियों 13:17 (HINDICL-BSI)
आपके धर्मनेताओं को रात-दिन आपकी आध्यात्मिक भलाई की चिन्ता रहती है, क्योंकि वे इसके लिए उत्तरदायी हैं। इसलिए आप लोग उनका आज्ञापालन करें और उनके अधीन रहें, जिससे वे अपना कर्त्तव्य आनन्द के साथ, न कि आहें भरते हुए, पूरा कर सकें; क्योंकि इस से आप को कोई लाभ नहीं होगा।
याकूब 3:1 (HINDICL-BSI)
मेरे भाइयो और बहिनो! आप लोगों में बहुत लोग गुरु न बनें, क्योंकि आप जानते हैं कि हम गुरुओं से अधिक कड़ाई से लेखा मांगा जायेगा।
योहन 9:39-41 (HINDICL-BSI)
(39) येशु ने कहा, “मैं संसार में न्याय के लिए आया हूँ, जिससे जो अन्धे हैं, वे देखने लगें और जो देखते हैं, वे अन्धे हो जाएँ।”
(40) जो फरीसी उनके साथ थे, वे यह सुन कर बोले, “क्या हम भी अन्धे हैं?”
(41) येशु ने उन से कहा, “यदि तुम लोग अन्धे होते, तो तुम्हें पाप नहीं लगता, परन्तु तुम तो कहते हो कि हम देखते हैं; इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है।
शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी कैसे निभानी चाहिए?
क्या हमने वही किया जिसे करने के लिए हम बनाये गए थे?
परमेश्वर ने हमारी रचना की। उसने येशु मसीह में हमारी सृष्टि की, जिससे हम उन शुभ कार्यों को पूर्ण करते रहें, जिन्हें परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है।
हम कौन है?
हम किस लिए बनाए गए थे?
हमारे लिए किसने काम तैयार किया है?
Ask
क्या आपके पास विश्वासियों का न्याय और पुरस्कारों के बारे में कोई सवाल है?
Application
हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारा काम अग्निपरीक्षा को पार करेगा?
a) Motive – Why are we doing it?
(4) मैं अपने में कोई दोष नहीं पाता, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं निर्दोष हूँ। प्रभु ही मेरे न्यायकर्ता हैं।
(5) इसलिए समय से पूर्व, प्रभु के आने तक, आप किसी बात का न्याय मत कीजिए। वही अन्धकार में छिपी हुई बातों को प्रकाश में लायेंगे और मनुष्यों के हृदय के गुप्त अभिप्राय प्रकट करेंगे। उस समय हर एक को परमेश्वर की ओर से यथायोग्य श्रेय दिया जायेगा।
b) शक्ति – किसकी शक्ति है?
मेरे प्रवचन तथा मेरे सन्देश में विद्वत्तापूर्ण शब्दों का आकर्षण नहीं, बल्कि आत्मा का सामर्थ्य था
c) आज्ञाकारिता – हम किसकी आज्ञा मान रहे हैं?
इब्रानियों 5:8-9 (HINDICL-BSI)
(8) पुत्र होने पर भी उन्होंने दु:ख सह कर आज्ञापालन सीखा।
(9-10) वह पूर्ण रूप से सिद्ध बन कर और परमेश्वर से मलकीसेदेक के अनुरूप महापुरोहित की उपाधि प्राप्त कर उन सब के शाश्वत मुक्ति के स्रोत बन गये, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं।
रोमियों 4:13 (HINDICL-BSI)
परमेश्वर ने अब्राहम और उनके वंश से प्रतिज्ञा की कि वे पृथ्वी के उत्तराधिकारी होंगे। यह इसलिए नहीं हुआ कि अब्राहम ने व्यवस्था का पालन किया, बल्कि इसलिए कि उन्होंने विश्वास किया और परमेश्वर ने उन्हें धार्मिक माना है।
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, कृपया मेरे समय और संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मेरी मदद करें, ताकि मैं आपके दिए हुए कार्यो को पूरा कर सकूँ।
प्रमुख पध
परमेश्वर ने हमारी रचना की। उसने येशु मसीह में हमारी सृष्टि की, जिससे हम उन शुभ कार्यों को पूर्ण करते रहें, जिन्हें परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है।