जब हम लोगों पर हाथ रखते हैं, तो हमारे हाथ बिजली के तार की तरह हो जाते हैं जिन्हें परमेश्वर में लगाया गया है। हम परमेश्वर के कुछ काम लोगों पर कर रहे हैं। क्योंकि हाथों का रखना बाहर की ओर केंद्रित होता है और अगली पीढ़ी के निर्माण की ओर काम करता है, इसलिए परमेश्वर से जुड़े रहना महत्वपूर्ण है।
प्रभाव क्षेत्र:
6. आत्मिक दान के लिए
हाथ रखने के संबंध में भविष्यवाणी करना एक दोहरा साधन है जिसके माध्यम से एक आत्मिक उपहार प्रदान किया जाता है।
1 तिमोथी 4:14 (HINDICL-BSI)
उस आध्यात्मिक वरदान की उपेक्षा मत करो, जो तुम में विद्यमान है और तुम्हें नबूवत द्वारा धर्मवृद्धों के हाथ रखते समय प्राप्त हुआ था।
2 तिमोथी 1:6 (HINDICL-BSI)
इसी कारण मैं तुम्हें स्मरण दिलाता हूँ कि तुम परमेश्वर के वरदान की वह ज्वाला प्रज्वलित बनाये रखो, जो मेरे हाथों के आरोपण से तुम में विद्यमान है।
रोमियों 1:11 (HINDICL-BSI)
क्योंकि मुझे आप से मिलने की बड़ी इच्छा है; मैं आप को विश्वास में सुदृढ़ बनाने के लिए आपको भी एक आध्यात्मिक वरदान देना चाहता हूँ;
आत्मिक उपहार देने के अपने क्षेत्र को पहचानें और उसपर चर्चा करें और आप इसका उपयोग कलीसिया बनाने में कैसे कर सकते हैं।
एक साथ प्रार्थना करें और परमेश्वर से इस दान के क्षेत्र में वृद्धि देने के लिए कहें।
7. आशीष देना
निम्नलिखित उदाहरणों से पता चलता है कि एक आशीष को हाथों के रखने और लोगों कि ओर हाथ बढ़ाने के द्वारा प्रदान किया जा सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि शारीरिक संपर्क हो।
इन उदाहरणों में लोगों को कैसे आशीष दिया गया था?
(13) तत्पश्चात् यूसुफ उन दोनों को लेकर पिता के निकट आया। एफ्रइम उसकी दाहिनी ओर परन्तु इस्राएल के बायें हाथ पर, और मनश्शे उसकी बायें ओर परन्तु इस्राएल के दाहिने हाथ पर था।
(14) इस्राएल ने अपना दाहिना हाथ बढ़ाकर उसे एफ्रइम के सिर पर रखा। एफ्रइम कनिष्ठ पुत्र था। उन्होंने अपना बायां हाथ आड़ा करके मनश्शे के सिर पर रखा। मनश्शे ज्येष्ठ पुत्र था।
(15) तदुपरान्त उन्होंने उनको आशीर्वाद दिया: ‘परमेश्वर, जिसकी उपस्थिति में रहकर मेरे पूर्वज अब्राहम और इसहाक आचरण करते थे, परमेश्वर, जिसने दीर्घायु में आज तक मेरा
नेतृत्व किया,
(16) मेरी समस्त बुराइयों से मुझे मुक्त करने वाला दूत, इन बच्चों को आशिष दे। इनके माध्यम से मेरा और मेरे पूर्वजों, अब्राहम और इसहाक का नाम चले, ये महान बनें, और पृथ्वी पर असंख्य हों।’
(17) जब यूसुफ ने देखा कि उसके पिता ने दाहिना हाथ एफ्रइम के सिर पर रखा है, तब यह बात उसे अपनी दृष्टि में बुरी लगी। अतएव उसने अपने पिता का हाथ पकड़ा कि उसे एफ्रइम के सिर से हटाकर मनश्शे के सिर पर रखे।
(18) उसने अपने पिता से कहा, ‘पिताजी, ऐसा मत कीजिए। देखिए, यह है ज्येष्ठ पुत्र। उसके सिर पर अपना दाहिना हाथ रखिए।’
(19) परन्तु उसके पिता ने उसकी बात अस्वीकार कर दी। उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूँ, मेरे पुत्र, मैं जानता हूँ। मनश्शे भी एक राष्ट्र बनेगा। वह भी महान बनेगा। फिर भी उसका छोटा भाई उससे अधिक महान होगा। उसके वंशजों से अनेक राष्ट्रों का उद्भव होगा।’
(20) उसके पिता ने उस दिन बच्चों को यह आशीर्वाद दिया : ‘तुम्हारे नाम से इस्राएली लोग आशीर्वाद देंगे कि “परमेश्वर तुम्हें एफ्रइम और मनश्शे के समान बनाए।” ’ इस प्रकार उन्होंने मनश्शे के आगे एफ्रइम को रखा।
हारून ने लोगों की ओर हाथ उठाए और उन्हें आशीर्वाद दिया। वह पाप-बलि, अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि चढ़ाकर नीचे उतर आया।
(50) इसके पश्चात् येशु शिष्यों को बेतनियाह गाँव तक ले गये और उन्होंने अपने हाथ उठा कर उन्हें आशीर्वाद दिया।
(51) आशीर्वाद देते-देते वह उनसे अलग हो गये और स्वर्ग में उठा लिये गये।
(52) शिष्य उनकी वंदना कर बड़े आनन्द के साथ यरूशलेम लौट आए
मारकुस 10:13 (HINDICL-BSI)
कुछ लोग येशु के पास बच्चों को लाए कि वह उन्हें स्पर्श करें; परन्तु शिष्यों ने लोगों को डाँटा।
मारकुस 10:16 (HINDICL-BSI)
तब येशु ने बच्चों को गोद में लिया और उन पर हाथ रख कर उन्हें आशीर्वाद दिया।
8. सेवकाई कि शुरुवात
कलीसिया के भीतर अगुवा, कुछ लोगों को जो पवित्र आत्मा से भरे हुए हैं, नियुक्त कर सकते हैं, ताकि वे लोग कलीसिया के भीतर विशिष्ट सेवकाई की भूमिकाएं कर सकें।
प्रेरितों 6:1-6 (HINDICL-BSI)
(1) उन दिनों जब शिष्यों की संख्या बढ़ती जा रही थी, तो यूनानी-भाषी शिष्यों ने इब्रानी-भाषी शिष्यों के विरुद्ध यह शिकायत की कि दैनिक दान-वितरण में उनकी विधवाओं की उपेक्षा हो रही है।
(2) इसलिए बारह प्रेरितों ने शिष्यों की सभा बुला कर कहा, “यह उचित नहीं है कि हम खिलाने-पिलाने की सेवा के लिए परमेश्वर का वचन सुनाना छोड़ दें।
(3) अत: भाई-बहिनो, आप लोग अपने बीच से सात सच्चरित्र पुरुषों को चुन लीजिए, जो पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण हों। हम उन्हें इस कार्य के लिए नियुक्त करेंगे,
(4) और हम लोग प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहेंगे।”
(5) यह बात समस्त सभा को अच्छी लगी। उन्होंने स्तीफनुस नामक व्यक्ति को, जो विश्वास तथा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था, तथा फ़िलिप, प्रोखुरुस, निकानोर, तीमोन, परमिनास और अन्ताकिया-निवासी नवयहूदी निकोलास को चुना
(6) और उन्हें प्रेरितों के सामने उपस्थित किया। प्रेरितों ने प्रार्थना करने के बाद उन पर अपने हाथ रखे।
प्रेरितों 13:1-3 (HINDICL-BSI)
(1) महानगर अन्ताकिया की स्थानीय कलीसिया में कई नबी और शिक्षक थे : जैसे बरनबास, शिमोन जो ‘कलुआ’ कहलाता था, कुरेने-निवासी लूकियुस, शासक हेरोदेस का दूध-भाई मनाहेन और शाऊल।
(2) जब वे प्रभु की उपासना में लगे हुये थे और उपवास कर रहे थे तो पवित्र आत्मा ने कहा, “मैंने बरनबास तथा शाऊल को एक विशेष कार्य के लिए बुलाया है। उन्हें मेरे लिए अलग करो।”
(3) तब उन्होंने उपवास तथा प्रार्थना कर बरनबास तथा शाऊल पर हाथ रखे और उन्हें विदा किया।
प्रेरितों 14:1-3 (HINDICL-BSI)
(1) ऐसी ही घटना इकोनियुम नगर में घटी : पौलुस और बरनबास ने यहूदियों के सभागृह में प्रवेश किया और ऐसा भाषण दिया कि यहूदी तथा यूनानी, दोनों बड़ी संख्या में विश्वासी बन गये।
(2) किन्तु जिन यहूदियों ने विश्वास करना अस्वीकार किया था, उन्होंने ग़ैर-यहूदियों को उभाड़ा और उनके मन में विश्वासी भाई-बहिनों के प्रति द्वेष भर दिया।
(3) पौलुस तथा बरनबास बहुत समय तक वहां रहे और प्रभु पर भरोसा रख कर निर्भीकता-पूर्वक प्रचार करते रहे। प्रभु ने भी उनके हाथों द्वारा चिह्न तथा आश्चर्य-कर्म दिखा कर अपने अनुग्रह का सन्देश प्रमाणित किया।
प्रेरितों 19:11-12 (HINDICL-BSI)
(11) परमेश्वर ने पौलुस द्वारा अलौकिक सामर्थ्य के कार्य किये;
(12) यहां तक कि, जब उनके शरीर से स्पर्श किये हुए रूमाल और अँगोछे रोगियों पर डाल दिये जाते थे, तो उनकी बीमारियाँ दूर हो जाती थीं और दुष्ट आत्माएं निकल जाती थीं।
उन्होंने कलीसिया की सेवा कैसे की?
अगुओं को सेवकाई में नियुक्त करना या काम में लाया जाना भी पहचान की एक प्रक्रिया है।
तुम उचित विचार किये बिना किसी पर हस्तारोपण मत करो और दूसरों के पापों के सहभागी मत बनो। अपने को शुद्ध बनाये रखो।
अगुओं को नियुक्त करने के लिए हाथ रखने मे तेज़ी करने के मामले में पौलुस चेतावनी क्यों देता है?
पूछिए
चर्चा करें और पहचानें कि आपके लिए आत्मिक दान के कौन से क्षेत्र हैं।
आवेदन
आपके दान और उत्साह के आधार पर आप अपने स्थानीय कलीसिया में मसीह के शरीर की सेवा और निर्माण कैसे कर सकते हैं
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, मेरे जीवन पर आपकी आशीष हो। मेरे लिए प्रदान किए गए आत्मिक दानों को मेरे सामने प्रकट करें। दूसरों को आशीष देने के लिए और आपकी महिमा के लिए आत्मविश्वास के साथ उनका उपयोग करने में मेरी मदद करें।
प्रमुख पध
उस आध्यात्मिक वरदान की उपेक्षा मत करो, जो तुम में विद्यमान है और तुम्हें नबूवत द्वारा धर्मवृद्धों के हाथ रखते समय प्राप्त हुआ था।
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