परमेश्वर के सत्य में चलना
परमेश्वर ने हमें अन्धकार के साम्राज्य से बचाया है और उसके ज्योति के राज्य में स्वागत किया है! हमारे जीवन के हर क्षेत्र में हमें उसकी ज्योति मे चलने की जरूरत है, आईए हम परमेश्वर के ज्योति में आए ताकि वह हमारे छिपे हुए दुखों और पापों को चुनौती दे और हमें चंगा करे।
अन्धकार में जीना
“अन्धकार” के बारे मे आप क्या सोचते हैं?
(19) दोषी ठहराने का कारण यह है कि ज्योति संसार में आयी है और मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अन्धकार को अधिक पसन्द किया, क्योंकि उनके कार्य बुरे थे।
(20) जो बुराई करता है, वह ज्योति से बैर करता है और ज्योति के पास इसलिए नहीं आता कि कहीं उसके कार्यों के दोष प्रकट न हो जाएँ।
कुछ लोग अन्धकार मे रहना क्यों पसंद करते हैं?
2 कुरिन्थियों 4:3-6 (HINDICL-BSI)
(3) यदि हमारे शुभसमाचार पर किसी तरह परदा पड़ा है, तो यह परदा उन लोगों के लिए पड़ा है, जो विनाश के मार्ग पर चलते हैं।
(4) इस युग-संसार के देवता ने अविश्वासियों का मन इतना अन्धा कर दिया है कि वे परमेश्वर के प्रतिरूप, अर्थात् मसीह के तेजोमय शुभ समाचार की ज्योति को देखने में असमर्थ हैं।
(5) हम अपना नहीं, बल्कि प्रभु येशु मसीह का प्रचार करते हैं। हम येशु के कारण अपने को आप लोगों का दास समझते हैं।
(6) परमेश्वर ने आदेश दिया था कि “अन्धकार में प्रकाश हो जाये।” उसी ने हमारे हृदय को अपनी ज्योति से आलोकित कर दिया है, जिससे हम परमेश्वर का वह तेज जान जायें, जो येशु मसीह के मुखमण्डल पर चमकता है।
इफिसियों 4:17-19 (HINDICL-BSI)
(17) मैं आप लोगों से यह कहता हूँ और प्रभु के नाम पर यह अनुरोध करता हूँ कि आप अब से विधर्मियों-जैसा आचरण नहीं करें, जो निस्सार बातों की चिन्ता करते हैं।
(18) उनकी बुद्धि पर अन्धकार छाया हुआ है। वे अपने अज्ञान और हृदय की कठोरता के कारण ईश्वरीय जीवन से विमुख हो गये हैं।
(19) वे नैतिक बोध से शून्य हो कर लम्पटता के वशीभूत हो गये हैं और उन में हर प्रकार के अशुद्ध कर्म की लालसा निवास करती है।
अन्धकार मे जीने के परिणाम क्या हैं?
ज्योति क्या है?
येशु ने लोगों से फिर कहा, “संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, वह अन्धकार में कभी नहीं चलेगा वरन् वह जीवन की ज्योति प्राप्त करेगा।”
यीशु खुद को कैसे दर्शाता है? आपके विचार में इसका मतलब क्या है?
तेरा वचन मेरे पैर के लिए दीपक, और मेरे पथ की ज्योति है।
परमेश्वर का वचन हमारे लिए कैसा ज्योति हो सकता है?
यीशु, हमारी ज्योति, हमारे जीवन के छिपे और अंधेरे भागों को उजागर करेगा ताकि वह चंगाई, क्षमा और जीवन ला सके!
1 कुरिन्थियों 4:5 (HINDICL-BSI)
इसलिए समय से पूर्व, प्रभु के आने तक, आप किसी बात का न्याय मत कीजिए। वही अन्धकार में छिपी हुई बातों को प्रकाश में लायेंगे और मनुष्यों के हृदय के गुप्त अभिप्राय प्रकट करेंगे। उस समय हर एक को परमेश्वर की ओर से यथायोग्य श्रेय दिया जायेगा।
लूकस 12:2-3 (HINDICL-BSI)
(2) ऐसा कुछ भी ढका हुआ नहीं है, जो उघाड़ा नहीं जाएगा और ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं किया जाएगा।
(3) इसलिए, तुम ने जो अंधेरे में कहा है, वह उजाले में सुना जाएगा और तुम ने जो कोठरियों में फुसफुसा कर कहा है, वह छतों से पुकार-पुकार कर कहा जाएगा।
ज्योति मे जीना
कुलुस्सियों 1:13 (HINDICL-BSI)
परमेश्वर हमें अन्धकार की अधीनता से निकाल कर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में ले आया।
1 पतरस 2:9 (HINDICL-BSI)
परन्तु आप लोग चुने हुए वंश, राजकीय पुरोहित-वर्ग, पवित्र राष्ट्र तथा परमेश्वर की अपनी निजी प्रजा हैं, जिससे आप उसी के महान् कार्यों की घोषणा करें, जो आप लोगों को अन्धकार में से निकाल कर अपनी अलौकिक ज्योति में बुला लाया है।
परमेश्वर ने हमारे लिए क्या किया है?
हम परमेश्वर कि ज्योति में रहने के बारे में नीचे लिखे वचनो से क्या सीख सकते हैं?
यदि भूखे व्यक्ति के लिए अपना भण्डार-गृह खोल दे, पीड़ित मनुष्य के प्राण को सन्तुष्ट करे, तो तेरे आनन्द का प्रकाश अंधकार में चमकेगा, और तेरे दु:ख का अंधकार दोपहर के सुखद प्रकाश में परिणत हो जाएगा।
“दीपक जला कर कोई उसे तहखाने में या पैमाने के नीचे नहीं, बल्कि दीवट पर रखता है, जिससे भीतर आने वालों को उसका प्रकाश मिले।
इसलिए, तुम ने जो अंधेरे में कहा है, वह उजाले में सुना जाएगा और तुम ने जो कोठरियों में फुसफुसा कर कहा है, वह छतों से पुकार-पुकार कर कहा जाएगा।
(8) आप लोग पहले ‘अन्धकार’ थे, अब प्रभु के शिष्य होने के नाते ‘ज्योति’ बन गये हैं। इसलिए ज्योति की सन्तान की तरह आचरण करें।
(9) जहाँ ज्योति है, वहाँ हर प्रकार की भलाई, धार्मिकता तथा सच्चाई उत्पन्न होती है।
(10) आप यह पता लगाते रहें कि कौन-सी बातें प्रभु को प्रिय हैं।
(11) जो व्यर्थ के काम लोग अन्धकार में करते हैं, उन में आप सम्मिलित न हों, वरन् उनकी बुराई प्रकट करें।
(12) जो काम वे गुप्त रूप से करते हैं, उनकी चर्चा करने में भी लज्जा आती है।
(13) ज्योति इन सब बातों की बुराई प्रकट करती और इनका वास्तविक रूप स्पष्ट कर देती है।
(14) ज्योति जिसे आलोकित करती है, वह स्वयं ज्योति बन जाता है। इसलिए कहा गया है : “हे सोने वाले, जाग! मृतकों में से जी उठ और मसीह तुम को आलोकित करेंगे।”
(5) वह संदेश जो हमने येशु से सुना और अब तुम को भी सुनाते हैं, यह है-परमेश्वर ज्योति है और उस में कोई भी अन्धकार नहीं!
(6) यदि हम कहते हैं कि हमें उसके साथ सहभागिता प्राप्त है, किन्तु अन्धकार में चल रहे हैं, तो हम झूठ बोलते हैं और सत्य के अनुसार आचरण नहीं करते।
(7) परन्तु यदि हम ज्योति में चलते हैं-जिस तरह वह स्वयं ज्योति में है − तो हमारी एक-दूसरे से सहभागिता है और उसके पुत्र येशु का रक्त हमें हर पाप से शुद्ध कर देता है।
(8) यदि हम कहते हैं कि हम निष्पाप हैं, तो हम अपने आप को धोखा देते हैं और हम में सत्य नहीं है।
(9) यदि हम अपने पाप स्वीकार करते हैं, तो परमेश्वर हमारे पाप क्षमा करेगा और हमें हर अपराध से शुद्ध करेगा; क्योंकि वह विश्वसनीय तथा धार्मिक है।
(10) यदि हम कहते हैं कि हमने पाप नहीं किया है, तो हम उसे झूठा सिद्ध करते हैं और उसका वचन हम में नहीं है।
दूसरों के लिए हमारी ज्योति का उजाला दिखाना
यशायाह नबी ने भविष्यवाणी की है कि जैसे ही परमेश्वर की ज्योति हम पर चमकती है, हम इस अंधेरी दुनिया में अलग दिखेंगे, और कई लोग इस प्रकाश में आना चाहेंगे।
(1) उठ, प्रकाशवती हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया; प्रभु का तेज तुझ पर उदित हुआ!
(2) देख, पृथ्वी पर अन्धकार छाया हुआ है, जातियों में घोर अंधेरा व्याप्त है, किन्तु प्रभु तुझ पर उदित होगा, उसका तेज तुझ में दिखाई देगा।
(3) राष्ट्र तेरे प्रकाश के समीप आएंगे; और राजा तेरे उषा: कालीन प्रकाश की ओर।
(14) “तुम संसार की ज्योति हो। पहाड़ पर बसा हुआ नगर छिप नहीं सकता।
(15) लोग दीपक जला कर पैमाने के नीचे नहीं, बल्कि दीवट पर रखते हैं, जहाँ से वह घर के सब लोगों को प्रकाश देता है।
(16) इसी प्रकार तुम्हारी ज्योति मनुष्यों के सामने चमकती रहे, जिस से वह तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारे स्वर्गिक पिता की महिमा करें।
हमें अपनी ज्योति क्यों चमकने देनी चाहिए?
(17) मैं निज लोगों से तथा अन्यजातियों से भी तेरी रक्षा करूंगा, जिनके पास मैं तुझे भेज रहा हूं।
(18) मैं उनकी आँखें खोलने के लिए, उन्हें अन्धकार से ज्योति की ओर उन्मुख करने के लिए, अर्थात् शैतान की शक्ति से विमुख हो परमेश्वर की ओर अभिमुख करने के लिए, तुझे उनके पास भेज रहा हूं, जिससे वे मुझ में विश्वास करने के कारण अपने पापों की क्षमा पाएं और पवित्र किए हुए भक्तों के बीच स्थान प्राप्त कर सकें।’
परमेश्वर हमसे क्या चाहता है?
दोस्त से पूछें
क्या आप कोइ कहानी बता सकते हैं जहाँ परमेश्वर ने आपके जीवन में उसकी रोशनी को चमका दी?
आवेदन
आप परमेश्वर कि ज्योति में लगातार रहने के लिए क्या कर सकते हैं?
आपके जीवन के किन क्षेत्रों को आपको परमेश्वर कि ज्योति में लाने की आवश्यकता है?
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, मुझे अंधकार से बचाने के लिए धन्यवाद। कृपया मुझे अपने जीवन में मुझे वो क्षेत्र दिखाएं जिन्हे मुझे आपकी ज्योति में लाने की आवश्यकता है। मुझे बदलने के लिए और रोज मेरा मार्गदर्शन करने के लिए धन्यवाद।
प्रमुख पध
येशु ने लोगों से फिर कहा, “संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, वह अन्धकार में कभी नहीं चलेगा वरन् वह जीवन की ज्योति प्राप्त करेगा।”