यीशु की उसके शिष्यों के साथ तीन साल कि सेवकाई के दौरान शिष्यों ने उसके द्वारा किये सब कार्य देखे और उन्होंने ये भी देखा की यीशु ने कैसे लोगों की सेवा की। यीशु की मिसाल पर चलकर, और पवित्र आत्मा का सामर्थ प्राप्त करने के बाद, शिष्य जहाँ कहीं भी गए, सुसमाचार के शक्तिशाली सेवक बन गए। और वचन की शक्ति और चिन्हों और चमत्कारों के माध्यम से उन्होंने शुरुआती कलीसियाओं की नींव स्थापित की।
उन्हें दिखाएं
नीचे लिखे वचनों को पढ़ें और एक से दो शब्दों मे बयां करें की यीशु चेलों के सामने क्या आदर्श रख रहे थे।
(2) येशु ने शिष्यों से कहा, “जब तुम प्रार्थना करते हो, तब यह कहो : पिता! तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए।
(3) हमें प्रतिदिन हमारा दैनिक भोजन दिया कर।
(4) हमारे पाप क्षमा कर, क्योंकि हम भी अपने सब अपराधियों को क्षमा करते हैं और हमें परीक्षा में न डाल।”
उन्होंने दृष्टान्तों में उन्हें बहुत-सी बातों की शिक्षा दी। शिक्षा देते हुए उन्होंने कहा−
येशु ने नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित बहुत-से रोगियों को स्वस्थ किया और लोगों में से बहुत-से भूतों को निकाला। येशु भूतों को बोलने से रोकते थे, क्योंकि भूत जानते थे कि वह कौन हैं।
लूकस 17:4 (HINDICL-BSI)
यदि वह दिन में सात बार तुम्हारे विरुद्ध अपराध करता और सात बार आ कर कहता कि ‘मुझे खेद है’, तो तुम उसे क्षमा करते जाओ।”
लूकस 23:34 (HINDICL-BSI)
[येशु ने कहा, “पिता! इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।”] तब उन्होंने चििट्ठयाँ डाल कर येशु के वस्त्र आपस में बाँट लिये।
उनको प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) दें
(11) तुम ये आदेश और यह शिक्षा दिया करो।
(12) तुम्हारी युवावस्था के कारण कोई तुम्हारा तिरस्कार न करे। तुम वचन, कर्म, प्रेम, विश्वास और शुद्धता में विश्वासियों के आदर्श बनो।
(13) मेरे आने तक धर्मग्रन्थ का पाठ करने और प्रवचन तथा शिक्षा देने में लगे रहो।
(14) उस आध्यात्मिक वरदान की उपेक्षा मत करो, जो तुम में विद्यमान है और तुम्हें नबूवत द्वारा धर्मवृद्धों के हाथ रखते समय प्राप्त हुआ था।
(15) इन बातों का ध्यान रखो और इन में पूर्ण रूप से लीन रहो, जिससे सब लोग तुम्हारी उन्नति देख सकें।
(16) तुम अपने विषय में जागरूक रहो तथा अपनी शिक्षा के विषय में सावधान रहो। इन बातों में दृढ़ बने रहो। ऐसा करने से तुम अपनी तथा अपने श्रोताओं की मुक्ति का कारण बनोगे।
तीमुथियुस को पौलुस क्या निर्देश और प्रशिक्षण दे रहा था?
तुम्हें अनेक सािक्षयों के सामने मुझ से जो शिक्षा मिली, उसे तुम ऐसे विश्वस्त व्यक्तियों को सौंप दो, जो स्वयं दूसरों को शिक्षा देने योग्य हों।
तीमुथियुस ने पौलुस से कैसे शिक्षा देना सिखाया?
जब कि सिद्ध व्यक्ति ठोस भोजन करते हैं। वे अनुभवी हैं और अभ्यास के कारण उनकी ज्ञानेन्द्रियां भला-बुरा पहचानने में समर्थ हैं।
हम वचन में प्रशिक्षण के माध्यम से क्या कौशल हासिल करेंगे?
सशक्त बनाना
(18) तब येशु ने उनके पास आकर कहा, “मुझे स्वर्ग में और पृथ्वी पर पूरा अधिकार दिया गया है।
(19) इसलिए तुम जा कर सब जातियों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो।
(20) मैंने तुम्हें जो-जो आदेश दिये हैं, उन सबका पालन करना उन्हें सिखाओ। देखो, मैं संसार के अन्त तक सदा तुम्हारे साथ हूँ।”
यीशु शिष्यों को क्या करने के लिए अधिकृत कर रहे थे?
(1) येशु ने बारह प्रेरितों को एक साथ बुलाया और उन्हें सब भूतों और रोगों को दूर करने की शक्ति और अधिकार प्रदान किया।
(2) तब येशु ने उन्हें परमेश्वर के राज्य का संदेश सुनाने और रोगियों को स्वस्थ करने भेजा।
शिष्यों को भेजने के समय यीशु ने उन्हें क्या दिया?
किन्तु पवित्र आत्मा तुम पर उतरेगा और तुम्हें सामर्थ्य प्रदान करेगा और तुम यरूशलेम में, समस्त यहूदा और सामरी प्रदेशों में तथा पृथ्वी के अन्तिम छोर तक मेरे साक्षी होगे।”
उन्हें शक्ति कैसे प्राप्त हुई?
शक्ति किसके लिए थी?
प्रेरितों 13:1-3 (HINDICL-BSI)
(1) महानगर अन्ताकिया की स्थानीय कलीसिया में कई नबी और शिक्षक थे : जैसे बरनबास, शिमोन जो ‘कलुआ’ कहलाता था, कुरेने-निवासी लूकियुस, शासक हेरोदेस का दूध-भाई मनाहेन और शाऊल।
(2) जब वे प्रभु की उपासना में लगे हुये थे और उपवास कर रहे थे तो पवित्र आत्मा ने कहा, “मैंने बरनबास तथा शाऊल को एक विशेष कार्य के लिए बुलाया है। उन्हें मेरे लिए अलग करो।”
(3) तब उन्होंने उपवास तथा प्रार्थना कर बरनबास तथा शाऊल पर हाथ रखे और उन्हें विदा किया।
1 तिमोथी 4:14 (HINDICL-BSI)
उस आध्यात्मिक वरदान की उपेक्षा मत करो, जो तुम में विद्यमान है और तुम्हें नबूवत द्वारा धर्मवृद्धों के हाथ रखते समय प्राप्त हुआ था।
उन पर हाथ रखना क्या दर्शाता है?
पूछिए
- आप एक शिष्य /अगुवे के रूप में कैसे विकसित हुए हैं?
- किसी के नेतृत्व को विकसित करने मे आपके योगदान का कोई उदाहरण हमें बताएं।
आवेदन
आपने इस अध्ययन से नेतृत्व के बारे में क्या सीखा है, और क्या आप नेतृत्व के क्षेत्र में बढ़ने के लिए कोई कदम उठा सकते हैं?
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आपके उदाहरण के लिए और मेरे जीवन में आपके द्वारा रखे गए लोगों के लिए बहुत बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे शिष्य बनाया और अगुआ बनने के लिए प्रशिक्षण दिया। मेरी सहायता करें कि मैं औरों को उनके विश्वास में बढ़ने के लिए और अगुआ बनने मे मदद कर सकूँ।
प्रमुख पध
आप लोगों ने मुझ से जो सीखा, ग्रहण किया, सुना और मुझ में देखा, उसके अनुसार आचरण करें और शान्ति का परमेश्वर आप लोगों के साथ रहेगा।