परमेश्वर की प्राथमिकता!
खोए हुए लोग परमेश्वर की सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। परमेश्वर चाहता है कि हर एक खोये हुआ व्यक्ति पाया जाये और और उसके साथ उनका रिश्ता हो। यीशु पृथ्वी पर “खोए हुए” लोगों (हम सब) को बचाने के लिए आया था और वह हमें इस महान उद्देश्य में उसके साथ भागीदार बनाना चाहता है।
खोयी हुई भेड़ और खोये हुए लोग
आप लोग भेड़ों की तरह भटक गये थे, किन्तु अब आप अपनी आत्मा के चरवाहे तथा रक्षक के पास लौट आये हैं।
हम किन माइनो में खोए हुए थे?
येशु ने नाव से उतर कर एक विशाल जनसमूह देखा। उन्हें उन लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थे और वे उन्हें बहुत-सी बातों की शिक्षा देने लगे।
लोग किन माइनो में खोए हुए थे?
खोये हुए लोगों के लिए परमेश्वर का ह्रदय
लूकस 15:1-7 (HINDICL-BSI)
(1) येशु का उपदेश सुनने के लिए सब चुंगी-अधिकारी और पापी उनके पास आ रहे थे।
(2) फरीसी और शास्त्री यह देखकर भुनभुनाने लगे, “यह मनुष्य पापियों का स्वागत करता है और उनके साथ खाता-पीता है।”
(3) इस पर येशु ने उनको यह दृष्टान्त सुनाया,
(4) “यदि तुम में से किसी के पास एक सौ भेड़ें हों और उन में से एक खो जाए, तो क्या वह निन्यानबे भेड़ों को निर्जन प्रदेश में छोड़ कर नहीं जाता और उस खोई हुई भेड़ को तब तक नहीं खोजता रहता, जब तक वह उसे नहीं मिल जाती है?
(5) मिल जाने पर वह आनन्दित हो कर उसे अपने कन्धों पर बैठा लेता है
(6) और घर आ कर अपने मित्रों और पड़ोसियों को बुलाता है और उन से कहता है, ‘मेरे साथ आनन्द मनाओ, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मुझे मिल गई है।’
(7) मैं तुम से कहता हूँ, इसी प्रकार निन्यानबे धर्मियों की अपेक्षा, जिन्हें पश्चात्ताप करने की आवश्यकता नहीं है, उस एक पापी के लिए स्वर्ग में अधिक आनन्द मनाया जाएगा जो पश्चात्ताप करता है।
लूकस 15:20-32 (HINDICL-BSI)
(20) तब वह उठ कर अपने पिता के घर की ओर चल पड़ा। वह दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देख लिया और वह दया से द्रवित हो उठा। उसने दौड़कर उसे गले लगा लिया और उसका चुम्बन किया।
(21) तब पुत्र ने उससे कहा, “पिता जी! मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके प्रति पाप किया है। मैं आपका पुत्र कहलाने के योग्य नहीं रहा।’
(22) परन्तु पिता ने अपने सेवकों से कहा, ‘शीघ्र अच्छे-से-अच्छे वस्त्र ला कर इस को पहनाओ और इसकी उँगली में अँगूठी और इसके पैरों में जूते पहना दो।
(23) मोटा पशु ला कर काटो ताकि हम खाएँ और आनन्द मनाएँ;
(24) क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था और फिर जी गया है, यह खो गया था और फिर मिल गया है।’ और वे आनन्द मनाने लगे।
(25) “उसका ज्येष्ठ पुत्र खेत में था। जब वह लौटकर घर के निकट पहुँचा, तो उसे गाने-बजाने और नाचने की आवाज सुनाई पड़ी।
(26) उसने एक सेवक को बुलाया और उससे पूछा, ‘यह सब क्या हो रहा है?’
(27) सेवक ने कहा, ‘आपके भाई आए हैं और आपके पिता ने मोटा पशु काटा है, क्योंकि उन्होंने उनको भला-चंगा वापस पाया है’।
(28) इस पर वह क्रुद्ध हो गया और उसने घर के भीतर जाना नहीं चाहा। तब उसका पिता उसे मनाने के लिए बाहर आया।
(29) परन्तु उसने अपने पिता को उत्तर दिया, ‘देखिए, मैं इतने वर्षों से एक गुलाम के समान आपकी सेवा कर रहा हूँ। मैंने कभी आपकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया। फिर भी आपने कभी मुझे बकरी का एक बच्चा तक नहीं दिया, ताकि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द मना सकूँ।
(30) पर जैसे ही आपका यह पुत्र आया, जिसने वेश्याओं के पीछे आपकी सम्पत्ति उड़ा दी है, आपने उसके लिए मोटा पशु काट डाला!’
(31) इस पर पिता ने उससे कहा, ‘पुत्र, तुम तो सदा मेरे साथ रहते हो और जो कुछ मेरा है, वह तुम्हारा ही है।
(32) परन्तु हमें आनन्द मनाना और उल्लसित होना उचित ही था; क्योंकि तुम्हारा यह भाई मर गया था और फिर जी गया है, यह खो गया था और फिर मिल गया है।’ ”
”
यह दृष्टांत कैसे दर्शाता कि खोए हुए लोग परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण हैं?
(9) येशु ने उससे कहा, “आज इस घर में मुक्ति का आगमन हुआ है, क्योंकि यह भी अब्राहम की संतान है।
(10) जो खो गया था, उसी को ढूँढ़ने और बचाने के लिए मानव-पुत्र आया है।”
यीशु धरती पर क्यों आए?
(31) येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “स्वस्थ्य मनुष्य को नहीं, बल्कि रोगियों को वैद्य की आवश्यकता होती है।
(32) मैं धार्मिकों को नहीं, पापियों को पश्चात्ताप के लिए बुलाने आया हूँ।”
किस तरह के लोगों के लिए यीशु धरती पर आए?
खोए हुए लोगों के लिए हमारा ह्रदय
(19) सब लोगों से स्वतन्त्र होने पर भी मैंने अपने को सब का दास बना लिया है, जिससे मैं अधिक-से-अधिक लोगों को उद्धार के लिए प्राप्त कर सकूँ।
(20) मैं यहूदियों के लिए यहूदी-जैसा बना, जिससे यहूदियों को प्राप्त कर सकूँ। जो लोग व्यवस्था के अधीन हैं, उनको प्राप्त करने के लिए मैं व्यवस्था के अधीन-जैसा बना, यद्यपि मैं वास्तव में व्यवस्था के अधीन नहीं हूँ।
(21) जो लोग व्यवस्था के अधीन नहीं हैं, उन्हें प्राप्त करने के लिए मैं उनके-जैसा व्यवस्था-विहीन बना, यद्यपि मसीह की व्यवस्था के अधीन होने के कारण मैं वास्तव में परमेश्वर की व्यवस्था से स्वतन्त्र नहीं हूँ।
(22) मैं दुर्बलों के लिए दुर्बल-जैसा बना, जिससे मैं उनको प्राप्त कर सकूँ। मैं सब के लिए सब कुछ बन गया हूँ, जिससे किसी न किसी तरह कुछ लोगों का उद्धार कर सकूँ।
(23) मैं यह सब शुभसमाचार के कारण कर रहा हूँ, जिससे मैं भी अन्यों के साथ उसके कृपादानों का भागीदार बन जाऊं।
Why did Paul try to relate to others?
(1) मैं मसीह में सच कहता हूँ और मेरा अन्त:करण पवित्र आत्मा में इस बात की साक्षी है कि मैं झूठ नहीं बोलता—
(2) मेरे हृदय में भारी पीड़ा है तथा मुझे निरन्तर दु:ख होता है।
(3) मैं तो यहां तक चाहता हूँ कि अपने उन भाई-बहिनों के कल्याण के लिए, जो शरीर के नाते मेरे सजातीय हैं, स्वयं ही शापग्रस्त हो जाऊं और मसीह से अलग हो जाऊं।
दूसरों को बचने के लिए पौलुस क्या त्याग करने को तैयार था?
परन्तु यदि लोगों को उस में विश्वास नहीं, तो वे उसकी दुहाई कैसे दे सकते हैं? यदि उन्होंने उसके विषय में कभी सुना नहीं, तो उस में विश्वास कैसे कर सकते हैं? यदि कोई प्रचारक न हो, तो वे उसके विषय में कैसे सुन सकते हैं?
खोए हुए लोगों तक पहुँचने में हमारी क्या भूमिका है?
दोस्त से पूछें
- आप कैसे “पाए” गए?
- परमेश्वर ने आपको खोजने के लिए क्या किया?
- लोगों ने आपको मसीही बनने में कैसे मदद की?
आवेदन
- परमेश्वर से हमारे दिल को बदलने के लिए कहें ताकि हम खोए हुए लोगों के लिए उसकी प्राथमिकता को समझें। आइए हम परमेश्वर से कहें कि वो हमे किन्ही तीन लोगों के बारे में सोचने में मदद करें जो खो गए हैं, ताकि हम उनके लिए रोज प्रार्थना कर सकें। आपकी प्रार्थनाएँ प्रभावी हैं, और परमेश्वर आपके दोस्तों तक पहुँचने में आपकी मदद करना शुरू कर देंगे।
- उन तीन लोगों को जिन्हें परमेश्वर ने आपके दिल में रखा है, हर दिन उनके लिए प्रार्थना करने की आदत डालें ।
- खोए हुए लोगों तक पहुंचने के लिए इस सप्ताह एक नया काम करें।
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आप मुझसे इतना प्यार करते हैं कि आप मुझे ढूंढने और बचाने के लिए आये प्रभु, कृपया मेरी प्राथमिकता आपकी ही तरह बनाइए, और कृपया मुझे कई लोगों तक पहुँचाने के लिए अपनी योजना में उपयोग करें।
प्रमुख पध
(3) यह उचित भी है और हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर को प्रिय भी है,
(4) क्योंकि वह चाहता है कि सभी मनुष्य मुक्ति प्राप्त करें और सत्य को जानें।