स्त्री पुरुष का सम्बन्ध इतना शक्तिशाली है कि परमेश्वर हमें यौन अनैतिकता के बारे में चेतावनी देते हैं
(15) क्या आप लोग यह नहीं जानते कि आपका शरीर मसीह का अंग है? तो, क्या मैं मसीह का अंग ले कर उसे वेश्या का अंग बना दूं? कभी नहीं!
(16) क्या आप लोग यह नहीं जानते कि जिसका मिलन वेश्या से होता है, वह उसके साथ एक शरीर हो जाता है? क्योंकि धर्मग्रन्थ कहता है, “वे दोनों एक शरीर हो जायेंगे।”
(17) किन्तु जिसका मिलन प्रभु से होता है, वह उसके साथ एक आत्मा बन जाता है।
(18) व्यभिचार से दूर रहें। मनुष्य के दूसरे सभी पाप उसके शरीर से बाहर हैं, किन्तु व्यभिचार करने वाला अपने ही शरीर के विरुद्ध पाप करता है।
(19)क्या आप यह नहीं जानते कि आपका शरीर पवित्र आत्मा का मन्दिर है? वह आप को परमेश्वर से प्राप्त हुआ है और वह आप में निवास करता है। आपका अपने पर अधिकार नहीं है;
(20) क्योंकि आप लोग मूल्य दे कर खरीदे गये हैं। इसलिए आप लोग अपने शरीर से परमेश्वर की महिमा प्रकट करें।
“यौन अनैतिकता” ग्रीक शब्द “पोर्नियो” का अंग्रेजी अनुवाद है, जिसका उपयोग नए नियम की मूल भाषा में किया गया है। “पोर्नियो” विवाह से बाहर सभी प्रकार की यौन गतिविधियों को संदर्भित करता है। इन वचनों मे स्त्री पुरुष के सम्बन्ध को एक गोंद के सामान बताया गया है, जो एक जोड़े को इतनी दृढ़ता से एकजुट करता है कि वे “एक” बन जाते हैं। स्त्री पुरुष का सम्बन्ध सभी स्तरों पर अंतरंगता पैदा करता है; यही कारण है कि हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए। इसलिए परमेश्वर चाहते हैं कि हम सावधान रहें और केवल उसी से जुड़ें जिससे हम शादीशुदा हैं।
1 तीमुथियुस 1:9-11 (HINDICL-BSI)
(9) हमें याद रहे कि व्यवस्था धर्मियों के लिए निर्धारित नहीं हुई, बल्कि उपद्रवी और निरंकुश लोगों के लिए, विधर्मियों और पापियों, नास्तिकों और धर्मविरोधियों, मातृ-पितृ-घातकों, हत्यारों,
(10) व्यभिचारियों और पुरुषगामियों, मानव-विक्रेताओं, असत्य-वादियों, झूठी शपथ खानेवालों और उन सब मनुष्यों के लिए जो उस हितकारी शिक्षा का विरोध करते हैं,
(11) जो शुभ समाचार के अनुरूप है। यह शुभ समाचार परमधन्य परमेश्वर की महिमा प्रकट करता है और मुझे सौंपा गया है।
रोमियों 13:9-10 (HINDICL-BSI)
(9) उदाहरणार्थ, ‘व्यभिचार मत करो, हत्या मत करो, चोरी मत करो, लालच मत करो’—इनका तथा अन्य सभी दूसरी आज्ञाओं का सारांश यह है : अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करो।
(10) प्रेम पड़ोसी के साथ अन्याय नहीं करता। इसलिए जो प्रेम करता है, वह व्यवस्था को परिपूर्ण करता है।
1 यूहन्ना 5:3 (HINDICL-BSI)
इतना ही नहीं, हम दु:ख-तकलीफ पर भी गौरव करें, क्योंकि हम जानते हैं कि दु:ख-तकलीफ से धैर्य,
ये कानून/आज्ञाएँ क्यों हैं और हम परमेश्वर की इन आवश्यकताओं को कैसे पूरा करते हैं?
व्यभिचार का अर्थ है दो लोगों के बीच स्त्री पुरुष का सम्बन्ध जहां एक या दोनों पहले से ही विवाहित हैं।
नीतिवचन 6:26-35 (HINDICL-BSI)
(26) वेश्या रोटी के एक टुकड़े में खरीदी जा सकती है, किन्तु व्यभिचारिणी स्त्री पुरुष का जीवन ही नष्ट कर देती है।
(27) क्या यह सम्भव है कि मनुष्य छाती पर आग रखे, और उसके वस्त्र न जलें;
(28) वह अंगारे पर चले पर उसके पैर न झुलसें?
(29) अत: जो पुरुष परायी स्त्री के पास जाता है, वह भी ऐसे ही जलेगा; जो पुरुष परायी स्त्री का स्पर्श करेगा, वह दण्ड से नहीं बचेगा।
(30) जब चोर भूख के कारण चोरी करता, और चोरी की रोटी से अपना पेट भरता है, तब लोग उसको तुच्छ नहीं समझते हैं।
(31) जब चोर पकड़ा जाता है तब उसको सात गुना भरना पड़ता है। उसे अपने घर का सारा माल देना पड़ता है।
(32) व्यभिचार करनेवाला व्यक्ति निरा मूर्ख होता है, जो पुरुष व्यभिचार करता है, वह स्वयं को नष्ट करता है।
(33) वह घायल और अपमानित होता है, उसका कलंक कभी धुल नहीं सकेगा।
(34) ईष्र्या पुरुष को क्रोध से अन्धा बना देती है; जब वह बदला लेगा तब वह तुझ पर दया नहीं करेगा।
(35) वह क्षतिपूर्ति के लिए कुछ नहीं लेगा; तू उसको कितने ही उपहार देगा, पर वह प्रसन्न नहीं होगा।
इब्रानियों 13:4 (HINDICL-BSI)
आप लोगों में विवाह सम्मानित और दाम्पत्य जीवन अदूषित हो; क्योंकि परमेश्वर लम्पटों और व्यभिचारियों का न्याय करेगा।
व्यभिचार क्यों गलत है?
यौन अनैतिकता के परिणाम क्या हैं?
(19) शारीरिक स्वभाव के कर्म प्रत्यक्ष हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, लम्पटता,
(20) मूर्ति-पूजा, जादू-टोना, बैर, फूट, ईष्र्या, क्रोध, स्वार्थपरता, मनमुटाव, दलबन्दी,
(21) द्वेष, मतवालापन, रंगरलियाँ और इसी प्रकार की अन्य बातें। मैं आप लोगों से कहता हूँ, जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, जो लोग इस प्रकार का आचरण करते हैं, वे परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं होंगे।
(20) मेरे पुत्र, तू परायी स्त्री पर क्यों मोहित हो? तू किसी व्यभिचारिणी को क्यों सीने से लगाए?
(21) मेरे पुत्र, मनुष्य के समस्त आचरण पर प्रभु दृष्टि करता है, प्रभु उसके प्रत्येक व्यवहार को देखता है।
(22) दुर्जन व्यक्ति अपने दुष्कर्मों के जाल में फंसता है; वह अपने पापों के बन्धन में बन्ध जाता है।
(23) वह अनुशासन का पालन न करने के कारण मर जाता है; वह अपनी मूर्खता के कारण यहां-वहां भटकता फिरता है।
व्यभिचार से दूर रहें। मनुष्य के दूसरे सभी पाप उसके शरीर से बाहर हैं, किन्तु व्यभिचार करने वाला अपने ही शरीर के विरुद्ध पाप करता है।
यौन अनैतिकता के अन्य नकारात्मक परिणाम
-शारीरिक रूप से अन्य (लोगों) और अपने आप को चोट पहुंचाना – यौन संचारित रोग – प्रभाव कई हैं, स्थायी और गंभीर. क्लैमाइडिया बाँझपन का कारण बन सकता है। यौन संचारित रोग सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकता है।
जीवन की ढलती आयु में, जब तुम्हारे शरीर का बल और त्वचा की ताजगी खत्म हो जाएगी,, तब तुम केवल सिर धुनोगे,
– अतीत की चोटों के कारण भावनात्मक रूप से किसी पर भरोसा या प्यार करने में असमर्थ
– अनचाही गर्भावस्था और गर्भपात (गर्भपात के कारण बाँझपन)
– ग्लानि और शर्म महसूस करना
स्त्री पुरुष के सम्बन्ध के बारे में गलत सोचना
– गलत सोच, “वासना और अश्लील चलचित्र ठीक हैं।” (मत्ती 5:28)
परन्तु मैं तुम से कहता हूँ : जो कोई बुरी इच्छा से किसी स्त्री पर दृष्टि डालता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।
– गलत सोच, “कुछ भी हो जाता है” (कोई जिम्मेदारी नहीं) (नीतिवचन 15:10)
जो मनुष्य पथभ्रष्ट हो जाता है, वह कठोर दण्ड पाता है; डांट-डपट की उपेक्षा करनेवाला मनुष्य समय से पहले मर जाता है।
– गलत सोच, “यौन सम्बन्ध वास्तविकता से बचने के लिए है” (अलगाव) (नीतिवचन 14:27)
प्रभु का भय जीवन का स्रोत है, जिसके द्वारा मनुष्य मृत्यु के फंदे से बचता है।
– गलत सोच, “यह तो हर कोई कर रहा है।” (रोमियों 12:2)
आप इस संसार के अनुरूप आचरण न करें, बल्कि सब कुछ नयी दृष्टि से देखें और अपना स्वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जायेंगे कि परमेश्वर क्या चाहता है और उसकी दृष्टि में क्या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है।
– गलत सोच, “प्रतिबद्धता बनाने से पहले टेस्ट ड्राइव करें।” (नीतिवचन 26:18-19)
(18-19) जो मनुष्य अपने पड़ोसी को धोखा देता है, और बहाना बनाकर यह कहता है, ‘मैं तो मजाक कर रहा था’; वह उस पागल मनुष्य के समान है, जो लोगों पर जलती लकड़ियां फेंकता है, जो प्राण घातक तीर मारता है।
-गलत सोच, “शादी से पहले यौन सम्बन्ध बनाना ठीक है क्योंकि मैं उसी से शादी करूंगा / करूंगी।”
मेरे पुत्र, अपने निजी जल-कुण्ड से, अपने कुएं के झरने से पानी पीना!
– गलत सोच, “अगर मैं शादी से पहले यौन सम्बन्ध बनाने के लिए ‘नहीं’ कहूंगा, तो मेरी प्रेमिका / प्रेमी मुझे छोड़ देगा।” (नीतिवचन 11:22)
यदि सुन्दर स्त्री में विवेक नहीं है तो वह सूअर के थूथन में सोने की नथ के समान है!
– गलत सोच, “स्थिति (सहकर्मी दबाव) के लिए अपना कौमार्य खोना ठीक है।” (नीतिवचन 16:17)
बुराई से दूर रहना निष्कपट मनुष्य का सदाचरण है। जो मनुष्य अपने आचरण की चौकसी करता है, वह अपने जीवन की रक्षा करता है।
– गलत सोच, “पैसे, उपहार, या सुविधा के लिए यौन सम्बन्ध बनाना ठीक है।” (नीतिवचन 5:16-18)
(16) क्या तू यह चाहता है कि तेरे झरने की जलधाराएं इधर-उधर फैल जाएं; तेरे जल-स्रोत सड़क पर बहने लगें?
(17) नहीं, उन पर केवल तेरा ही अधिकार हो, वे तेरे ही हों, किसी अजनबी के न हों।
(18) तेरा झरना सदा हरा-भरा रहे; तु अपनी युवावस्था की पत्नी से ही सदा सुखी रहना;
-गलत सोच, “मेरी यौन पहचान – मैं इसी तरह पैदा हुआ था; मैं एक नशेड़ी हूं।” (नीतिवचन 15:10)
जो मनुष्य पथभ्रष्ट हो जाता है, वह कठोर दण्ड पाता है; डांट-डपट की उपेक्षा करनेवाला मनुष्य समय से पहले मर जाता है।
– डेट बलात्कार- गलत सोच, “वह यह चाहती थी इसलिए वह मेरे साथ डेट पर गई थी।” (नीतिवचन 14:22)
बुरी-बुरी योजनाएं बनानेवाले क्या पथभ्रष्ट नहीं होते? पर भली बातें सोचनेवालों से करुणा और सच्चाई का व्यवहार किया जाता है।
(12) आप में से कोई यह कहेगा, “मुझे सब कुछ करने की अनुमति है।” हां, किन्तु सब कुछ हितकर नहीं। मैं कह सकता हूँ, “मुझे सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्तु मैं किसी चीज का गुलाम नहीं बनूंगा।
(13) कोई यह भी कहेगा, “किन्तु भोजन पेट के लिए है और पेट भोजन के लिए।” हां, किन्तु परमेश्वर दोनों का अन्त कर देगा। शरीर व्यभिचार के लिए नहीं, बल्कि प्रभु के लिए है और प्रभु शरीर के लिए।
परमेश्वर हमारे शरीर की परवाह क्यों करता है?
जैसा कि आप ऊपर दी गई सूचियों से देख सकते हैं, ऐसे कई कारण हैं कि परमेश्वर चाहता है कि हम अपनी कामुकता की रक्षा करें। लेकिन आज के समाज में लोगों पर शादी से पहले अपना कौमार्य छोड़ने का दबाव है। जो लोग जीवन में बाद में मसीही बने, वे शादी और यौन सम्बन्ध के लिए परमेश्वर कि योजना को नहीं जानते थे। बहुत से लड़के और लड़कियां अश्लील साहित्य देखते होंगे या शादी से बाहर यौन सक्रिय रहे होंगे और उन्हें यह सामान्य बात लगती होगी। शायद यह आपके जीवन का वर्णन करता है। शायद आप शादी के पहले से ही परमेश्वर का उपहार खोलने का पछतावा कर रहे हैं। शायद गलत सोच और गलत फैसलों की वजह से आप शादी को लेकर शर्म और डर महसूस कर रहे हैं।
1 कुरिन्थियों 6:9-11 (HINDICL-BSI)
(9) क्या आप यह नहीं जानते कि अन्याय करने वाले व्यक्ति परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं होंगे? धोखे में न रहें! व्यभिचारी, मूर्तिपूजक, परस्त्रीगामी, कामातुर और पुरुषगामी,
(10) चोर, लोभी, शराबी, निन्दक और धोखेबाज परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं होंगे।
(11) आप लोगों में से कुछ ऐसे ही थे। किन्तु अब प्रभु येशु मसीह के नाम पर और हमारे परमेश्वर के आत्मा के द्वारा आप धोये गए तथा पवित्र किये गए और धार्मिक ठहराये गये हैं।
2 कुरिन्थियों 5:17 (HINDICL-BSI)
इसका अर्थ यह है कि यदि कोई मसीह के साथ एक हो गया है, तो वह नयी सृष्टि बन गया है। पुरानी बातें समाप्त हो गयी हैं और अब नई बातें आ गयी हैं।
रोमियों 8:1-4 (HINDICL-BSI)
(1) जो लोग येशु मसीह से संयुक्त हैं, उनके लिए अब कोई दण्डाज्ञा नहीं रह गयी है;
(2) क्योंकि, ओ मनुष्य! पवित्र आत्मा के विधान ने, जो येशु मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है, तुझ को पाप तथा मृत्यु के नियम से मुक्त कर दिया है।
(3) मानव स्वभाव की दुर्बलता के कारण मूसा की व्यवस्था जो कार्य करने में असमर्थ थी, वह कार्य परमेश्वर ने कर दिया है। उसने पाप के प्रायश्चित्त के लिए अपने पुत्र को भेजा, जिसने पापी मनुष्य के सदृश शरीर धारण किया। इस प्रकार परमेश्वर ने मानव शरीर में पाप को दण्डित किया,
(4) जिससे हम लोगों में—जो कि शारीरिक स्वभाव के अनुसार नहीं, बल्कि आत्मा के अनुसार आचरण करते हैं—धार्मिकता के संबंध में व्यवस्था की मांग पूर्ण हो जाए।
यदि आपने पहले ही गलतियाँ की हैं तो अब आप क्या कर सकते हैं?
(नोट – यदि आपके साथ यौन दुर्व्यवहार किया गया है, तो यह आपकी गलती नहीं है, लेकिन आप परमेश्वर से आपको शुद्ध करने के लिए कह सकते हैं। यह आपको उन अगुओं से निजी तौर पर बात करने में मदद करेगा जिन पर आप भरोसा करते हैं)।
परमेश्वर की पवित्रता
परमेश्वर हमें पवित्रता कैसे प्रदान करता है?
प्रभु यह कहता है, ‘अब आओ; हम अपना वाद-विवाद हल कर लें; चाहे तुम्हारे पाप लाल रंग के हों, वे हिम के समान सफेद हो जाएंगे। चाहे वे अर्गवानी रंग के हों, वे ऊन के समान श्वेत हो जाएंगे।
यदि हम अपने पाप स्वीकार करते हैं, तो परमेश्वर हमारे पाप क्षमा करेगा और हमें हर अपराध से शुद्ध करेगा; क्योंकि वह विश्वसनीय तथा धार्मिक है।
इसका अर्थ यह है कि यदि कोई मसीह के साथ एक हो गया है, तो वह नयी सृष्टि बन गया है। पुरानी बातें समाप्त हो गयी हैं और अब नई बातें आ गयी हैं।
दोस्त से पूछें
आपके लिए यौन शुद्धता कितनी महत्वपूर्ण है? क्यों?
आवेदन
क्या आपने कभी परमेश्वर से पूछा है कि वह आपको यौन रूप से शुद्ध रहने में मदद करें?
आप अपने जीवन में यौन शुद्धता को कैसे प्राथमिकता दे सकते हैं?
मॉडल प्रार्थना
परमेश्वर, स्त्री पुरुष के सम्बन्ध के महान उपहार के लिए आपका धन्यवाद। मुझे इस उपहार को संजोने में मदद करें, और इसे शादी के लिए सुरक्षित रखें। मैं अपना शरीर और अपनी कामुकता आपके हाथ मे सौंप देता हूँ। मुझे आपके तरीकों से जीने में मदद करें।
प्रमुख पध
जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उनके साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।