परमेश्वर के बारे मे विचार करना
परमेश्वर का वचन हमारे मन और हमारे विचारों के बारे में बहुत कुछ कहता है। परमेश्वर ने हमें नए जीवन के साथ-साथ सोचने का नया तरीका भी दिया है। हमारे सोचने और जीने के तरीकों को हमें परमेश्वर के सत्य वचन पर आधारित करना होगा।
अपनी सोच बदलें
क्योंकि जो शारीरिक स्वभाव से संचालित हैं, वे शारीरिक आचरण की बातों की चिन्ता करते हैं और इसका परिणाम मृत्यु है; जो आत्मा से संचालित हैं, वे आत्मा की बातों की चिन्ता करते हैं और इसका परिणाम जीवन और शान्ति है।
जो चीज़े हमारा नियंत्रण करती हैं वो हमारे विचारों को कैसे प्रभावित करती है?
रोमियों 12:2 (HINDICL-BSI)
आप इस संसार के अनुरूप आचरण न करें, बल्कि सब कुछ नयी दृष्टि से देखें और अपना स्वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जायेंगे कि परमेश्वर क्या चाहता है और उसकी दृष्टि में क्या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है।
इफिसियों 4:23-24 (HINDICL-BSI)
(23) आप लोग पूर्ण रूप से नवीन आध्यात्मिक विचारधारा अपनायें
(24) और एक नवीन स्वभाव धारण करें, जिसकी सृष्टि परमेश्वर के अनुसार हुई है और जो धार्मिकता तथा सच्ची पवित्रता में व्यक्त होता है।
परमेश्वर हमें कैसे रूपांतरित करता है? हमे क्या करने की ज़रुरत है?
परमेश्वर ने हमें कायरता का नहीं, बल्कि सामर्थ्य, प्रेम तथा आत्मसंयम का आत्मा प्रदान किया है।
परमेश्वर ने हमारी सोच में हमारी मदद करने के लिए क्या दिया है?
परमेश्वर के विचार
1 शमूएल 16:7 (HINDICL-BSI)
परन्तु प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘तू उसके बाहरी रूप-रंग और ऊंचे कद पर ध्यान मत दे। मैंने उसे अस्वीकार किया है। जिस दृष्टि से मनुष्य देखता है, उस दृष्टि से मैं नहीं देखता। मनुष्य व्यक्ति के बाहरी रूप-रंग को देखता है, पर मैं उसके हृदय को देखता हूँ।’
यशायाह 55:8-9 (HINDICL-BSI)
(8) प्रभु यह कहता है : ‘मेरे विचार तुम्हारे विचारों के समान नहीं हैं, और न तुम्हारे मार्ग मेरे मार्गों के सदृश हैं।
(9) पृथ्वी से जितना दूर आकाश है, उतने ही दूर मेरे मार्ग से तुम्हारे मार्ग हैं; उतने ही तुम्हारे विचार मेरे विचारों से दूर हैं।
परमेश्वर के विचार हमारे विचारों से किस तरह अलग है?
भजन संहिता 139:13-18 (HINDICL-BSI)
(13तूने ही मेरे भीतरी अंगों को बनाया है, मेरी मां के गर्भ से तूने मेरी रचना की है।
(14) मैं तेरी सराहना करता हूं, क्योंकि तू भय-योग्य और अद्भुत है तेरे कार्य कितने आश्चर्यपूर्ण हैं! तू मुझे भली भांति जानता है।
(15) जब मैं गुप्त स्थान में बनाया गया, पृथ्वी के निचले स्थान में बुना गया, तब मेरा कंकाल तुझसे छिपा न रहा।
(16) तेरी आंखों ने मेरे भ्रूण को देखा; तेरी पुस्तक में सब कुछ लिखा था, दिन भी रचे गये थे, जब वे दिन अस्तित्व में नहीं थे।
(17) हे परमेश्वर, तेरे विचार मेरे प्रति कितने मूल्यवान हैं। उनका योग कितना बड़ा है!
(18) यदि मैं उनको गिनूं, तो मुझे ज्ञात होगा कि वे धूलकण से भी अधिक हैं; जब मैं जागता हूं, तब भी मैं तेरे साथ हूं।
यिर्मयाह 29:11 (HINDICL-BSI)
‘मैं-प्रभु यह कहता हूं, कि मैंने तुम्हारी भलाई के लिए योजनाएं बनाई हैं, बुराई के लिए नहीं; और मैं इन योजनाओं को अच्छी तरह जानता हूं। मैंने तुम्हारे लिए एक सुखद भविष्य की योजना बनाई है। मैं तुम्हें एक आशामय भविष्य दूंगा।
हमारे बारे में परमेश्वर के विचार क्या हैं?
अच्छे विचार
(25) “मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्ता मत करो − न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्या खायें अथवा क्या पीयें और न अपने शरीर की, कि हम क्या पहनें। क्या जीवन भोजन से बढ़ कर नहीं? और क्या शरीर कपड़े से बढ़ कर नहीं?
(26) आकाश के पक्षियों को देखो। वह न तो बोते हैं, न लुनते हैं और न बखारों में जमा करते हैं। फिर भी तुम्हारा स्वर्गिक पिता तुम्हें खिलाता है। क्या तुम उनसे बढ़ कर नहीं हो?
(27) चिन्ता करने से तुम में से कौन अपनी आयु एक घड़ी भर भी बढ़ा सकता है?
(28) और कपड़ों की चिन्ता क्यों करते हो? खेत के फूलों से सीखो। वे कैसे बढ़ते हैं! वे न तो श्रम करते हैं और न कातते हैं।
(29) फिर भी मैं तुम से कहता हूँ कि राजा सुलेमान अपने समस्त वैभव में उन में से किसी एक के समान विभूषित नहीं था।
(30) ओ अल्पविश्वासियो! यदि परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज भर है और कल आग में झोंक दी जाएगी, इस प्रकार पहनाता है, तो वह तुम्हें क्यों नहीं पहनाएगा?
(31) “इसलिए चिन्ता मत करो। यह मत कहो कि हम क्या खाएँगे, क्या पियेंगे, क्या पहनेंगे।
(32) इन सब वस्तुओं की खोज तो अन्यजातियाँ करती हैं। तुम्हारा स्वर्गिक पिता जानता है कि तुम्हें इन सभी वस्तुओं की जरूरत है।
(33) तुम सब से पहले परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी।
(34) अत: कल की चिन्ता मत करो। कल अपनी चिन्ता स्वयं कर लेगा। आज का दु:ख आज के लिए ही बहुत है।
हमें चिंता क्यों नहीं करनी चाहिए?
जब हम परमेश्वर के तरीके से विचार करेंगे, तो हम उसकी शांति को प्राप्त करेंगे और उसकी इच्छा को जानेंगे। (फिलिप्पियों 4:9, रोमियों 12:2)
फिलिप्पियों 4:9 (HINDICL-BSI)
आप लोगों ने मुझ से जो सीखा, ग्रहण किया, सुना और मुझ में देखा, उसके अनुसार आचरण करें और शान्ति का परमेश्वर आप लोगों के साथ रहेगा।
रोमियों 12:2 (HINDICL-BSI)
आप इस संसार के अनुरूप आचरण न करें, बल्कि सब कुछ नयी दृष्टि से देखें और अपना स्वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जायेंगे कि परमेश्वर क्या चाहता है और उसकी दृष्टि में क्या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है।
नीचे लिखे वचनो को उन चीजों से मिलाएं जिनके बारे में हमें सोचना चाहिए।
भजन संहिता 1:2-3 (HINDICL-BSI)
(2) पर उसका सुख प्रभु की व्यवस्था में है, और वह दिन-रात उस का पाठ करता है।
(3) वह उस वृक्ष के समान है जो नहर के तट पर रोपा गया, जो अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते मुरझाते नहीं। जो कुछ धार्मिक मनुष्य करता है, वह सफल होता है।
भजन संहिता 119:148 (HINDICL-BSI)
मेरी आंखें रात्रि-जागरण के पूर्व खुल गईं, ताकि मैं तेरी प्रतिज्ञा का ध्यान कर सकूं।
फिलिप्पियों 2:4 (HINDICL-BSI)
कोई भी केवल अपने हित का नहीं, बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।
फिलिप्पियों 4:8-9 (HINDICL-BSI)
(8) भाइयो और बहिनो! अन्त में यह : जो कुछ सच है, आदरणीय है; जो कुछ न्यायसंगत है, निर्दोष है; जो कुछ प्रीतिकर है, मनोहर है, जो कुछ भी उत्तम है, प्रशंसनीय है : ऐसी बातों का मनन किया करें।
(9) आप लोगों ने मुझ से जो सीखा, ग्रहण किया, सुना और मुझ में देखा, उसके अनुसार आचरण करें और शान्ति का परमेश्वर आप लोगों के साथ रहेगा।
कुलुस्सियों 3:2 (HINDICL-BSI)
आप संसार की नहीं, स्वर्ग की वस्तुओं की चिन्ता किया करें।
इब्रानियों 10:24 (HINDICL-BSI)
हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किस प्रकार प्रेम तथा परोपकार के लिए एक दूसरे को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
स्वर्ग, अनंत काल
परमेश्वर का वचन
परमेश्वर का वादा
अन्य लोग
दूसरों को प्रोत्साहित करना
अच्छी चीजें
दोस्त से पूछें
- क्या आप अपने विचार बदलने की कोई कहानी हमें बता सकते हैं?
- गलत विचारों को रोकने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
आवेदन
हे परमेश्वर, मुझे परख और मेरा हृदय पहचान, मुझे जांच और मेरे विचारों को जान!
आपकी सोच के किस हिस्से को आपको बदलने की जरूरत है?
आपको जिन क्षेत्रों को बदलने की आवश्यकता है, उन पर किन वचनों को लागू कर सकते हैं?
मॉडल प्रार्थना
पिता परमेश्वर, मुझे नई जिंदगी और नई सोच देने के लिए धन्यवाद। जब मैं आपके वचन का अध्ययन करता हूँ तो कृपया मेरे सोचने के तरीके को बदलने में मेरी मदद करें।
प्रमुख पध
आप इस संसार के अनुरूप आचरण न करें, बल्कि सब कुछ नयी दृष्टि से देखें और अपना स्वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जायेंगे कि परमेश्वर क्या चाहता है और उसकी दृष्टि में क्या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है।