निर्णय एक छाटने की प्रक्रिया है। न्यायाधीश के लिए यूनानी शब्द “क्रिनो” है, जिसका अर्थ है, “अलग करना या अंतर करना, जाँच करना, दण्ड देना और निर्णय लेना”। परमेश्वर लोगों को यीशु के प्रति उनकी प्रतिक्रिया के आधार पर उनकी परीक्षा लेगा और निर्णय लेकर अलग करेगा।
पुराने नियम मे निर्णय का चित्र
(4) वह अपने लोगों में स्वामी होने के कारण स्वयं को अशुद्ध नहीं करेगा जिससे वह अपवित्र हो जाए।
(5) पुरोहित शोक प्रकट करने के लिए अपने-अपने सिर का मुंडन नहीं कराएंगे, अपनी दाढ़ी के किनारे को नहीं मुड़ाएंगे और न अपने शरीर पर घाव करेंगे।
(6) वे अपने परमेश्वर के हेतु पवित्र बनेंगे, और अपने परमेश्वर के नाम को अपवित्र नहीं करेंगे। वे परमेश्वर का आहार अर्थात् बलि, प्रभु के लिए अग्नि में अर्पित करते हैं। अतएव वे पवित्र रहेंगे।
(7) वे वेश्या अथवा भ्रष्ट स्त्री से विवाह नहीं करेंगे। वे परित्यक्ता स्त्री से, जिसे उसके पति ने त्याग दिया है, विवाह नहीं करेंगे; क्योंकि पुरोहित अपने परमेश्वर के लिए पवित्र है।
(8) तुम उसे पवित्र मानना; क्योंकि वह तुम्हारे परमेश्वर का आहार चढ़ाता है। वह तुम्हारे लिए पवित्र होगा; क्योंकि मैं प्रभु, जो तुम्हें पवित्र करता हूँ, पवित्र हूँ।
(9) यदि किसी पुरोहित की पुत्री वेश्यावृत्ति के द्वारा अपने को अपवित्र करेगी, तो वह अपने पिता को ही अपवित्र करेगी। उसे आग में जलाया जाएगा।
क्या हुआ जब लोग उतावले हो गए और परमेश्वर और मूसा के खिलाफ बोलने लगे?
जब मूसा ने मदद के लिए प्रार्थना की तो क्या हुआ?
उन लोगों का क्या हुआ जिन्होंने पीतल सांप को ओर देखा?
नोट: पीतल न्याय का प्रतीक है, लेकिन उसमे पापों से मुक्ति भी था।
नए नियम मे निर्णय का चित्र
रोमियों 3:23 (HINDICL-BSI)
क्योंकि सब ने पाप किया और सब परमेश्वर की महिमा से वंचित हो गए हैं।
रोमियों 6:23 (HINDICL-BSI)
क्योंकि पाप का वेतन मृत्यु है, किन्तु परमेश्वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्वत जीवन।
क्या हम फैसले के लायक हैं?
(14) जिस तरह मूसा ने निर्जन प्रदेश में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव-पुत्र का भी ऊपर उठाया जाना अनिवार्य है,
(15) जिससे जो कोई विश्वास करता है, वह उसमें शाश्वत जीवन प्राप्त करे। ”
(16) “परमेश्वर ने संसार से इतना प्रेम किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करता है, वह नष्ट न हो, बल्कि शाश्वत जीवन प्राप्त करे।
(17) परमेश्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराए। उसने उसे इसलिए भेजा है, कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।
(18) “जो पुत्र में विश्वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्योंकि वह परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं करता।
(19) दोषी ठहराने का कारण यह है कि ज्योति संसार में आयी है और मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अन्धकार को अधिक पसन्द किया, क्योंकि उनके कार्य बुरे थे।
(20) जो बुराई करता है, वह ज्योति से बैर करता है और ज्योति के पास इसलिए नहीं आता कि कहीं उसके कार्यों के दोष प्रकट न हो जाएँ।
(21) किन्तु जो सत्य पर चलता है, वह ज्योति के पास आता है, जिससे यह प्रकट हो कि उसके कार्य परमेश्वर में किए गए हैं।”
जब हम क्रूस पर यीशु के कार्य को देखते हैं तो क्या होता है?
न्यायधीश कौन होगा?
योहन 5:22 (HINDICL-BSI)
क्योंकि पिता किसी का न्याय नहीं करता। उसने न्याय करने का पूरा अधिकार पुत्र को दे दिया है,
प्रेरितों 17:31 (HINDICL-BSI)
क्योंकि उसने वह दिन निश्चित किया है, जिस में वह एक पूर्व-निर्धारित व्यक्ति द्वारा समस्त संसार का न्यायपूर्वक विचार करेगा। परमेश्वर ने उस व्यक्ति को मृतकों में से पुनर्जीवित कर सब को अपने इस निश्चय का प्रमाण दिया है।”
निर्णय की प्रक्रिया क्या है?
इब्रानियों 4:13 (HINDICL-BSI)
परमेश्वर से कोई भी सृष्ट वस्तु छिपी नहीं है। उसकी आंखों के सामने सब कुछ खुला और अनावृत्त है। उसी को हमें लेखा देना पड़ेगा।
नीतिवचन 15:11 (HINDICL-BSI)
अधोलोक और अतल पाताल भी प्रभु की दृष्टि से छिपे नहीं हैं; तब क्या मनुष्य का हृदय उससे छिपा रह सकता है?
परमेश्वर का फैसला अदालतों की तरह क्यों नहीं है?
क्या न्याय धर्मी और न्यायपूर्ण होगा?
वह पृथ्वी का न्याय करने को आएगा। वह धार्मिकता से संसार का, और सच्चाई से सभी जातियों का न्याय करेगा
निम्नलिखित वचनों को पढ़ें और प्रक्रिया के प्रमुख पहलुओं को नाम दें।
रोमियों 2:11 (HINDICL-BSI)
क्योंकि परमेश्वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता।
प्रकाशन 20:12 (HINDICL-BSI)
मैंने छोटे-बड़े, सब मृतकों को सिंहासन के सामने खड़ा देखा। पुस्तकें खोली गयीं। तब एक अन्य पुस्तक-अर्थात जीवन-ग्रन्थ खोला गया। पुस्तकों में लिखी हुई बातों के आधार पर मृतकों का उनके कर्मों के अनुसार न्याय किया गया।
क्या यह निष्पक्ष है?
यह सब उस दिन प्रकट किया जायेगा, जब परमेश्वर, मेरे शुभ समाचार के अनुसार, येशु मसीह द्वारा मनुष्यों के गुप्त विचारों का न्याय करेगा।
संदेश या सुसमाचार क्या है?
क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और न्यायसंगत हैं। उसने उस महावेश्या को दण्डित किया है, जो अपने व्यभिचार द्वारा पृथ्वी को दूषित करती थी। परमेश्वर ने उससे अपने सेवकों के रक्त का प्रतिशोध लिया है।”
क्या यह सही है?
मैंने छोटे-बड़े, सब मृतकों को सिंहासन के सामने खड़ा देखा। पुस्तकें खोली गयीं। तब एक अन्य पुस्तक-अर्थात जीवन-ग्रन्थ खोला गया। पुस्तकों में लिखी हुई बातों के आधार पर मृतकों का उनके कर्मों के अनुसार न्याय किया गया।
उनका निर्णय किस अनुसार हुआ?
“मैं तुम लोगों से कहता हूँ − न्याय के दिन मनुष्यों को मुँह से निकली अपनी हर निकम्मी बात का लेखा देना पड़ेगा,
क्या यह पूरी तरह से होगा?
सभा-उपदेशक 12:13-14 (HINDICL-BSI)
(13) जो कुछ तुमने सुना, उसका सार यह है : तुम परमेश्वर पर श्रद्धा रखो, और उसकी आज्ञाओं का पालन करो; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण धर्म यही है।
(14) परमेश्वर मनुष्य के प्रत्येक कर्म को, उसकी सब गुप्त बातों को, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय के समय प्रस्तुत करेगा।
रोमियों 2:16 (HINDICL-BSI)
यह सब उस दिन प्रकट किया जायेगा, जब परमेश्वर, मेरे शुभ समाचार के अनुसार, येशु मसीह द्वारा मनुष्यों के गुप्त विचारों का न्याय करेगा।
रहस्यों का क्या होगा?
पूछिए
क्या आपके पास न्याय की प्रक्रिया के बारे में कोई अन्य प्रश्न हैं?
आवेदन
ये सत्य महत्वपूर्ण क्यों हैं?
निम्नलिखित वचन मुझे किस प्रकार का जीवन जीने को कहते हैं?
परमेश्वर की दयालुता और कठोरता, दोनों पर विचार करो: पतित लोगों के प्रति उसकी कठोरता है और तुम्हारे प्रति उसकी ईश्वरीय दयालुता। शर्त यह है कि तुम उसकी दयालुता के योग्य बने रहो। नहीं तो तुम भी काट कर अलग कर दिये जाओगे।
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, क्रूस पर आपके बलिदान के लिए धन्यवाद। मैं अपने उद्धार के लिए आप की ओर देखता हूं। इस पृथ्वी पर एक धन्यवादी जीवन जीने मे मेरी मदद करें ताकि मै आप के साथ एक उद्देश्यपूर्ण अनंत काल के लिए तैयार रहूं।
प्रमुख पध
यह सब उस दिन प्रकट किया जायेगा, जब परमेश्वर, मेरे शुभ समाचार के अनुसार, येशु मसीह द्वारा मनुष्यों के गुप्त विचारों का न्याय करेगा।