अपने पूरे दिल से
परमेश्वर चाहता है कि हम उस पर पूरे दिल से भरोसा करें। इसका अर्थ यह है कि उसके साथ हमारा संबंध स्वस्थ है और हम उससे शांति और आनंद प्राप्त कर सकते हैं। हमें उन क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है जिनमें हम उस पर विश्वास नहीं कर पाते हैं, ताकि हम प्रभु में बढ़ते रहें।
हम अपना भरोसा किसमे रखते हैं?
मुझे अपने धनुष पर विश्वास नहीं है- और न मेरी तलवार ही मुझे बचा सकती है।
(8) मनुष्य पर भरोसा करने की अपेक्षा प्रभु की शरण लेना भला है।
(9) शासकों पर भरोसा करने की अपेक्षा प्रभु की शरण लेना भला है।
(15) राष्ट्रों की मूर्तियां सोना और चांदी हैं: वे मनुष्य के हाथों का काम हैं।
(16) उनके मुंह हैं, पर वे बोलतीं नहीं। उनके आंखें हैं, किन्तु वे देख नहीं सकतीं;
(17) उनके कान हैं, पर वे सुन नहीं सकतीं; और न उनके मुंह में जीवन की सांस है!
(18) जो उन्हें बनाते हैं, वे उन्हीं मूर्तियों के सदृश निर्जीव हैं। वे भी बेजान हैं, जो उन पर भरोसा करते हैं।
अपनी धन-सम्पत्ति पर भरोसा करनेवाला सूखे पत्ते के समान झड़ जाता है; पर धार्मिक मनुष्य नए पत्ते के समान लहलहाता है।
जो मनुष्य केवल अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है; पर बुद्धि के मार्ग पर चलनेवाला मनुष्य बचाया जाएगा।
अन्य लोग?
जब हम अपना भरोसा गलत चीजों में डालते हैं तो क्या होता है?
परमेश्वर पर भरोसा करने से हमें क्या रोकता है?
(25) “मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्ता मत करो − न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्या खायें अथवा क्या पीयें और न अपने शरीर की, कि हम क्या पहनें। क्या जीवन भोजन से बढ़ कर नहीं? और क्या शरीर कपड़े से बढ़ कर नहीं?
(26) आकाश के पक्षियों को देखो। वह न तो बोते हैं, न लुनते हैं और न बखारों में जमा करते हैं। फिर भी तुम्हारा स्वर्गिक पिता तुम्हें खिलाता है। क्या तुम उनसे बढ़ कर नहीं हो?
(27) चिन्ता करने से तुम में से कौन अपनी आयु एक घड़ी भर भी बढ़ा सकता है?
(28) और कपड़ों की चिन्ता क्यों करते हो? खेत के फूलों से सीखो। वे कैसे बढ़ते हैं! वे न तो श्रम करते हैं और न कातते हैं।
(29) फिर भी मैं तुम से कहता हूँ कि राजा सुलेमान अपने समस्त वैभव में उन में से किसी एक के समान विभूषित नहीं था।
(30) ओ अल्पविश्वासियो! यदि परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज भर है और कल आग में झोंक दी जाएगी, इस प्रकार पहनाता है, तो वह तुम्हें क्यों नहीं पहनाएगा?
(31) “इसलिए चिन्ता मत करो। यह मत कहो कि हम क्या खाएँगे, क्या पियेंगे, क्या पहनेंगे।
(32) इन सब वस्तुओं की खोज तो अन्यजातियाँ करती हैं। तुम्हारा स्वर्गिक पिता जानता है कि तुम्हें इन सभी वस्तुओं की जरूरत है।
(33) तुम सब से पहले परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी।
(34) अत: कल की चिन्ता मत करो। कल अपनी चिन्ता स्वयं कर लेगा। आज का दु:ख आज के लिए ही बहुत है।
हमें किन चीजों की चिंता है?
(23) येशु नाव पर सवार हुए तो उनके शिष्य उनके साथ हो लिये।
(24) उस समय झील में एकाएक इतना प्रचंड तूफान उठा कि नाव लहरों से ढकी जा रही थी। परन्तु येशु सो रहे थे।
(25) शिष्यों ने पास आ कर उन्हें जगाया और कहा, “प्रभु! हमें बचाइए! हम डूब रहे हैं!”
(26) येशु ने उन से कहा, “अल्पविश्वासियो! डरते क्यों हो?” तब उन्होंने उठ कर वायु और झील को डाँटा और पूर्ण शान्ति छा गयी।
यीशु ने अपने शिष्यों को उस पर भरोसा न करने के लिए फटकार लगाई। किस बात ने उन्हें परेशान किया?
परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए और क्या करना आपके लिए मुश्किल है?
हमें परमेश्वर पर भरोसा क्यों रखना चाहिए?
भजन संहिता 33:4 (HINDICL-BSI)
क्योंकि प्रभु का वचन सत्य है; और उसके समस्त कार्य सच्चाई से सम्पन्न हुए हैं।
इब्रानियों 13:8 (HINDICL-BSI)
येशु मसीह एकरूप रहते हैं- कल, आज और अनन्त काल तक।
परमेश्वर हमारे भरोसे के लायक क्यों है?
अगर हम परमेश्वर पर भरोसा करना जारी रखेंगे, तो हमारे जीवन में क्या परिणाम होंगे?
हे स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु! धन्य है वह मनुष्य, जो तुझ पर भरोसा करता है!
(5) तू अपनी समझ का सहारा न लेना वरन् सम्पूर्ण हृदय से प्रभु पर भरोसा करना।
(6) अपने सब कार्यों में तू प्रभु को स्मरण करना, वह तेरे कठिन मार्ग को सरल कर देगा।
वह आशा हमारी आत्मा के लिए एक सुस्थिर एवं सुदृढ़ लंगर के सदृश है, जो परदे के उस पार स्वर्गिक मन्दिरगर्भ में पहुँचता है,
(35) इसलिए आप लोग अपना वह पूर्ण भरोसा नहीं छोड़ें-इसका पुरस्कार महान् है।
(36) आप लोगों को धैर्य की आवश्यकता है, जिससे परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के बाद आप को वह मिल जाये, जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर कर चुका है;
(8) आपने येशु को कभी देखा नहीं, फिर भी आप उन्हें प्यार करते हैं। आप अब भी उन्हें नहीं देखते, फिर भी उन में आप विश्वास करते हैं। और इस विश्वास के कारण आप एक अकथनीय एवं महिमामय आनन्द से परिपूर्ण हैं।
(9) इस विश्वास का प्रतिफल है, आपकी आत्मा का उद्धार।
दोस्त से पूछें
- क्या आप इस बारे में हमे बता सकते हैं कि परमेश्वर में आपका विश्वास कैसे बढ़ा है?
- क्या आपके पास विश्वास के बारे में कोई अन्य प्रश्न हैं?
आवेदन
यहाँ यूहन्ना 14:1, “तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो। हम अपने दिलों को परेशान होने से कैसे रोक सकते हैं?
“तुम्हारा मन व्याकुल न हो। परमेश्वर में विश्वास करो और मुझ में भी विश्वास करो!
हम परमेश्वर पर अपना भरोसा कैसे बढ़ा सकते हैं?
घर का पाठ: भरोसा-स्वीकरण
इस सप्ताह इन वचनों का ध्यान करें।
भजन संहिता 28:7 (HINDICL-BSI)
प्रभु मेरी शक्ति और ढाल है। उस पर ही मैं भरोसा करता हूँ। अत: मुझे सहायता मिली है। मेरा हृदय हर्षित होता है; और मैं अपने गीतों द्वारा उसकी स्तुति करता हूँ।
नीतिवचन 3:5-6 (HINDICL-BSI)
(5) तू अपनी समझ का सहारा न लेना वरन् सम्पूर्ण हृदय से प्रभु पर भरोसा करना।
(6) अपने सब कार्यों में तू प्रभु को स्मरण करना, वह तेरे कठिन मार्ग को सरल कर देगा।
रोमियों 15:13 (HINDICL-BSI)
आशा का स्रोत, परमेश्वर आप लोगों को विश्वास द्वारा प्रचुर आनन्द और शान्ति प्रदान करे, जिससे पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से आप लोगों की आशा परिपूर्ण हो।
मॉडल प्रार्थना
प्यारे प्रभु, मुझे माफ़ कर दिजिए कि मैंने अपना भरोसा दूसरी चीजों में रखा। कृपया मुझे दिखाएं कि मुझे किस प्रकार अपना दिल बदलने की ज़रुरत है। मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि मैं अपने पूरे दिल से आप पर भरोसा कर सकता हूं।
प्रमुख पध
तू अपनी समझ का सहारा न लेना वरन् सम्पूर्ण हृदय से प्रभु पर भरोसा करना। अपने सब कार्यों में तू प्रभु को स्मरण करना, वह तेरे कठिन मार्ग को सरल कर देगा।