Missing the Mark
The original word for sin means, “to miss the mark”, like in archery. It says in the Bible that, “all of us have sinned and fallen short of God’s glory”
क्योंकि सब ने पाप किया और सब परमेश्वर की महिमा से वंचित हो गए हैं।
पाप उन सभी गलत चीजों को संदर्भित करता है जो हमने कहा, किया या सोचा है।
पाप की लड़ाई
(18) मैं जानता हूँ कि मुझ में, अर्थात् मेरे शारीरिक स्वभाव में, मसीह का निवास नहीं है; क्योंकि अच्छे कार्य करने की इच्छा तो मुझ में विद्यमान है, किन्तु उन्हें कार्यान्वित करने की शक्ति मुझमें नहीं है।
(19) मैं जो भलाई करना चाहता हूँ वह नहीं कर पाता, बल्कि मैं जो बुराई नहीं चाहता, वही कर डालता हूँ।
(20) किन्तु यदि मैं वही करता हूँ, जिसे मैं नहीं चाहता, तो कर्ता मैं नहीं हूँ, बल्कि कर्ता है—मुझ में निवास करने वाला पाप।
(21) इस प्रकार, मेरा अनुभव यह है कि जब मैं भलाई करने की इच्छा करता हूँ, तो बुराई ही कर पाता हूँ।
हम पाप क्यों करते हैं?
(21) “तुम लोगों ने सुना है कि पूर्वजों से कहा गया था : ‘हत्या मत करना।’ यदि कोई हत्या करे, तो वह कचहरी में दण्ड के योग्य ठहराया जाएगा।
(22) परन्तु मैं तुम से कहता हूँ, जो कोई अपने भाई अथवा बहिन पर क्रोध करता है, वह कचहरी में दण्ड के योग्य ठहराया जाएगा। यदि वह अपने भाई अथवा बहिन से अपशब्द कहे, तो वह धर्म-महासभा में दण्ड के योग्य ठहराया जाएगा और जो कोई अपने भाई अथवा बहिन से कहेगा, ‘अरे मूर्ख’, तो वह नरक की आग के योग्य ठहराया जाएगा।
(23)“जब तुम वेदी पर अपनी भेंट चढ़ा रहे हो और तुम्हें वहाँ याद आए कि मेरे भाई अथवा बहिन को मुझ से कोई शिकायत है,
(24) तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़कर पहले अपने भाई-बहिन से मेल करने जाओ और तब आ कर अपनी भेंट चढ़ाओ।
(25) “कचहरी जाते समय रास्ते में ही अपने मुद्दई से समझौता कर लो। कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्हें न्यायाधीश के हवाले कर दे, न्यायाधीश तुम्हें सिपाही के हवाले कर दे और सिपाही तुम्हें बन्दीगृह में डाल दे।
(26) मैं तुम से सच कहता हूँ, जब तक कौड़ी-कौड़ी न चुका दोगे, तब तक तुम वहाँ से छूटने नहीं पाओगे।
(27) “तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया था : ‘व्यभिचार मत करना’।
(28) परन्तु मैं तुम से कहता हूँ : जो कोई बुरी इच्छा से किसी स्त्री पर दृष्टि डालता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।
(29) “यदि तुम्हारी दाहिनी आँख तुम्हारे लिए पाप का कारण बनती है, तो उसे निकाल कर फेंक दो। अच्छा यही है कि तुम्हारे अंगों में से एक नष्ट हो जाए, किन्तु तुम्हारा सारा शरीर नरक में न डाला जाए।
(30) और यदि तुम्हारा दाहिना हाथ तुम्हारे लिए पाप का कारण बनता है, तो उसे काट कर फेंक दो। अच्छा यही है कि तुम्हारे अंगों में से एक नष्ट हो जाए, किन्तु तुम्हारा सारा शरीर नरक में न जाए।
यीशु ने पाप के बारे में क्या कहा?
पाप के कुछ उदाहरण क्या हैं?
पाप का परिणाम
रोमियों 6:23 (HINDICL-BSI)
क्योंकि पाप का वेतन मृत्यु है, किन्तु परमेश्वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्वत जीवन।
गलातियों 6:7-8 (HINDICL-BSI)
(7) धोखा न खाइए। परमेश्वर का उपहास नहीं किया जा सकता। मनुष्य जो बोता है, वही काटता है।
(8) जो अपनी शारीरिक प्रवृत्ति के लिए बोता है, वह शरीर की भूमि में विनाश की फसल काटेगा; किन्तु जो पवित्र आत्मा के लिए बोता है, वह पवित्र आत्मा की भूमि में शाश्वत जीवन की फसल काटेगा।
किन तरीकों से पाप हमारे जीवन को प्रभावित करता है? (आत्मिक रूप से, संबंधित रूप से , सनातन जीवन के रूप से सोचें)
पाप पर विजय
हमारे जीवन में हम पाप पर विजय कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
(1) जो लोग येशु मसीह से संयुक्त हैं, उनके लिए अब कोई दण्डाज्ञा नहीं रह गयी है;
(2) क्योंकि, ओ मनुष्य! पवित्र आत्मा के विधान ने, जो येशु मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है, तुझ को पाप तथा मृत्यु के नियम से मुक्त कर दिया है।
यदि हम अपने पाप स्वीकार करते हैं, तो परमेश्वर हमारे पाप क्षमा करेगा और हमें हर अपराध से शुद्ध करेगा; क्योंकि वह विश्वसनीय तथा धार्मिक है।
इसलिए आप लोग एक दूसरे के सामने अपने-अपने पाप स्वीकार करें और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें, जिससे आप स्वस्थ हो जायें। धर्मात्मा की भक्तिमय प्रार्थना बहुत प्रभावशाली होती है।
(1) अत:, भाइयो और बहिनो! मैं परमेश्वर की दया के नाम पर अनुरोध करता हूँ कि आप जीवन्त, पवित्र तथा सुग्राह्य बलि के रूप में अपने को परमेश्वर के प्रति अर्पित करें; यही आपकी आत्मिक उपासना है।
(2) आप इस संसार के अनुरूप आचरण न करें, बल्कि सब कुछ नयी दृष्टि से देखें और अपना स्वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जायेंगे कि परमेश्वर क्या चाहता है और उसकी दृष्टि में क्या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है।
दोस्त से पूछें
- आपके जीवन में पाप पर विजय प्राप्ति कि कोई कहानी हैं जिसे आप बताना चाहेंगे?
- पाप के विषय में आपके पास कोई अन्य सवाल है?
- जब हम प्रार्थना करते हैं, परमेश्वर से आपके दिलों की खोज करने को कहें। उससे कहें कि वह हमारे पापों को और उन पापों द्वारा हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को उजागर करे। याद रखें कि परमेश्वर हमारे पाप को क्षमा करता है और वह पाप के परिणामों से हमें चंगा करने के लिए शक्तिशाली है।
आवेदन
Homework
(1) धन्य है वह मनुष्य, जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढांपा गया।
(2) धन्य है वह मनुष्य जिसपर प्रभु अधर्म का अभियोग नहीं लगाता, और जिसके मन में कोई कपट नहीं है।
(3) जब तक मैंने अपना पाप प्रकट नहीं किया, मेरी देह दिन भर की कराह से कमजोर हो गई।
(4) तेरा हाथ दिन-रात मुझपर भारी था; मानो ग्रीष्म के ताप से मेरा जीवन-रस सूख गया।
(5) मैंने तेरे सम्मुख अपना पाप स्वीकार किया, और अपने अधर्म को छिपाया नहीं; मैंने कहा, “मैं प्रभु के समक्ष अपने अपराध स्वीकार करूंगा।” और तूने मेरे पाप और अधर्म को क्षमाकर दिया।
(6) जब तक तू मिल सकता है, सब भक्त तुझ से प्रार्थना करें; क्योंकि भयंकर जल-प्रवाह उन भक्तों तक नहीं पहुंच सकेगा।
(7) तू मेरा आश्रयस्थल है; तू संकट से मुझे सुरक्षित रखता है; तू मुक्ति के जयघोष से मुझे घेर लेगा।
(8) प्रभु यह कहता है: “मैं तेरी अगुआई कर तुझे वह मार्ग सिखाऊंगा जिस पर तुझे चलना चाहिए; मैं तुझे परामर्श दूंगा। मेरी आंखें तुझ पर लगी रहेंगी।”
(9) इसलिए तुम अश्व अथवा खच्चर जैसे न बनो, जिसमें विवेक नहीं होता; जिसे रास और लगाम से वश में करना पड़ता है; अन्यथा वह तुम्हारे निकट न आएगा।
(10) दुर्जन को अनेक दु:ख हैं; किन्तु प्रभु पर भरोसा करने वाले को प्रभु की करुणा घेरे रहती है।
(11) ओ धार्मिको, प्रभु में आनन्दित और हर्षित हो। ओ सत्यनिष्ठो, जयजयकार करो।
देखिये कि दाऊद ने कैसे अपने पाप को परमेश्वर के सम्मुख रखा और परमश्वर की क्षमा का आनंद लिया।
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने मेरे पाप के दंड के लिए क्रूस पर मृत्यु स्वीकार की। मुझे क्षमा करने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। कृपया मुझे एक ऐसा जीवन जीने में मदद करें जिससे आप प्रसन्न हो और मेरा जीवन आपके सम्मुख शुद्ध हो।
प्रमुख पध
क्योंकि पाप का वेतन मृत्यु है, किन्तु परमेश्वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्वत जीवन।