एक शक्तिशाली आशीष
आराधना सिर्फ रविवार के दिन गीत गाना नहीं है। आराधना शक्तिशाली है, यह आपके जीवन को आशीष से भर सकती है और जीवन बदल सकती है। यह परमेश्वर के लोगों का एक साथ इकट्ठा होने का उत्सव है। हर एक मसीही के लिए आराधना जीवन का एक तरीका होना चाहिए।
आराधना परमेश्वर के बारे में है
हम परमेश्वर की स्तुति और आराधना क्यों करते हैं?
प्रभु महान है − हमारा परमेश्वर अपने नगर में अत्यन्त प्रशंसनीय है।
हे सर्वोच्च प्रभु! भला है तेरी स्तुति करना; भला है तेरे नाम का गुणगान करना;
पर वह अपने भक्तों से, उसकी करुणा की प्रतीक्षा करनेवालों से प्रसन्न होता है।
आराधना उत्सव है
एक साथ परमेश्वर की आराधना करने में कुछ तो विशेष बात है और यह शक्तिशाली है
भजन संहिता 34:3 (HINDICL-BSI)
मेरे साथ प्रभु का गुणगान करो; हम सब उसके नाम को उन्नत करें।
भजन संहिता 102:22 (HINDICL-BSI)
उस समय विजातियाँ और उनके राजा, प्रभु की सेवा के लिए एकत्र होंगे।
किन तरीको से हम परमेश्वर की स्तुति कर उत्सव मना सकते हैं?
हे सब जातियों, आनन्द से ताली बजाओ! ऊंचे स्वर में परमेश्वर का जयजयकार करो!
(1) प्रभु की स्तुति करो! प्रभु के लिए नया गीत गाओ, भक्तों की मण्डली में प्रभु की स्तुति हो!
(2) इस्राएली अपने निर्माता में आनन्दित हों! सियोन की जनता अपने राजा प्रभु में मगन हो!
(3) वे नृत्य से प्रभु के नाम की स्तुति करें, डफ और सितार पर उसके लिए राग बजाएँ।
(1) प्रभु की स्तुति करो! उसके पवित्र स्थान में परमेश्वर की स्तुति करो। आकाश के मेहराब में उसके सामर्थ्य की स्तुति करो।
(2) उसके महान कार्यों के लिए उसकी स्तुति करो। उसकी अपार महानता के अनुरूप उसकी स्तुति करो!
(3) नरसिंगे की गूंज पर उसकी स्तुति करो! सारंगी और सितार पर उसकी स्तुति करो!
(4) डफ और नृत्य से उसकी स्तुति करो। वीणा और बांसुरी से उसकी स्तुति करो।
(5) झांझों की ध्वनि पर उसकी स्तुति करो। उच्च स्वर की झांझ से। उसकी स्तुति करो!
(6) समस्त प्राणी प्रभु की स्तुति करें! प्रभु की स्तुति करो!
आराधना एक जीवन शैली है
निम्नलिखित छंदों को पढ़ें और चर्चा करें।
अपने पूरे जीवन के साथ परमेश्वर की आराधना करने का क्या मतलब है?
(37) येशु ने उस से कहा, “ ‘अपने प्रभु परमेश्वर को अपने सम्पूर्ण हृदय, सम्पूर्ण प्राण और सम्पूर्ण बुद्धि से प्रेम करो।’
(38) यह सब से बड़ी और पहली आज्ञा है।
अत:, भाइयो और बहिनो! मैं परमेश्वर की दया के नाम पर अनुरोध करता हूँ कि आप जीवन्त, पवित्र तथा सुग्राह्य बलि के रूप में अपने को परमेश्वर के प्रति अर्पित करें; यही आपकी आत्मिक उपासना है।
(16) आप हर समय प्रसन्न रहें,
(17) निरन्तर प्रार्थना करते रहें,
(18) सब बातों के लिए परमेश्वर को धन्यवाद दें; क्योंकि येशु मसीह के अनुसार आप लोगों के विषय में परमेश्वर की इच्छा यही है।
परन्तु वह समय आ रहा है, वरन् आ ही गया है, जब सच्चे आराधक आत्मा और सत्य में पिता की आराधना करेंगे। पिता ऐसे ही आराधकों को चाहता है।
आराधना एक शक्तिशाली आशीष है
आराधना हमारे जीवन के लिए एक शक्तिशाली आशीष है! परमेश्वर चाहता है कि हम उसकी उपस्थिति का आनंद लें
तू मुझे जीवन-मार्ग दिखाता है; तेरी उपस्थिति परमानन्द है; तेरे दाहिने हाथ में सदा-सर्वदा स्वर्ग-सुख है।
परमेश्वर की स्तुति और आराधना से हम कठिन समय में भी आनंद और विजय प्राप्त कर सकते हैं
यशायाह 54:1 (HINDICL-BSI)
ओ यरूशलेम नगरी! तू बांझ है; तू निस्सन्तान है! तूने प्रसव-पीड़ा नहीं भोगी; पर अब तू उमंग में, उच्च स्वर में गीत गा। क्योंकि प्रभु यह कहता है : परित्यक्त स्त्री को सुहागिन स्त्री से अधिक सन्तान होगी।
यशायाह 61:3 (HINDICL-BSI)
प्रभु ने मुझे इसलिए भेजा है कि मैं सियोन में शोक करनेवालों को राख नहीं, वरन् विजय-माला पहनाऊं; विलाप नहीं, बल्कि उनके मुख पर आनन्द का तेल मलूं, उन्हें निराशा की आत्मा नहीं, वरन् स्तुति की चादर ओढ़ाऊं, ताकि वे धार्मिकता के बांज वृक्ष कहलाएँ; वे प्रभु के पौधे कहलाएँ और उनसे प्रभु की महिमा हो।
(25) आधी रात के समय जब पौलुस तथा सीलास प्रार्थना कर रहे थे और परमेश्वर की स्तुति गा रहे थे और कैदी उन्हें सुन रहे थे
(26) तो एकाएक इतना भारी भूकम्प हुआ कि बन्दीगृह की नींव हिल गयी। उसी क्षण सब द्वार खुल गये और सब कैदियों की बेड़ियाँ खुल गयीं।
(27) बन्दीगृह का अधीक्षक जाग उठा और बन्दीगृह के द्वार खुले देख कर समझा कि कैदी भाग गये हैं। इसलिए उसने तलवार खींच कर आत्महत्या करनी चाही;
(28) किन्तु पौलुस ने ऊंचे स्वर से पुकार कर कहा, “अपने आपको कोई हानि न पहुँचाओ। हम सब यहीं हैं।”
(29) तब अधीक्षक दीपक मँगा कर भीतर दौड़ा और काँपते हुए पौलुस तथा सीलास के चरणों पर गिर पड़ा।
(30) उसने उन्हें बाहर ले जा कर कहा, “सज्जनो, मुक्ति प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?”
(31) उन्होंने उत्तर दिया, “आप प्रभु येशु पर विश्वास कीजिए, तो आप को और आपके परिवार को मुक्ति प्राप्त होगी।”
परमेश्वर की स्तुति करने से पौलुस और सीलास के हालात कैसे बदल गए?
दोस्त से पूछें
- आप के लिए आराधना एक आनंद का अनुभव क्यों है?
- क्या आपको कभी आराधना के दौरान एक नयी दिशा या सफलता का अनुभव हुआ है?
आवेदन
- आराधना कैसे आपके जीवन मे मदद कर सकती है?
- आप आराधना को अपनी जीवनशैली का हिस्सा कैसे बना सकते हैं?
- ऐसी कौन सी चीजें हैं जिनके लिए आप अभी परमेश्वर की स्तुति और आराधना कर सकते हैं?
मॉडल प्रार्थना
हे प्रभु, मैं तेरी स्तुति करता हूँ! तू अद्भुत है! तू मेरे जीवन में मेरी प्राथमिकता हैं! मैं तुझे धन्यवाद देता हूं कि मैं कभी भी तेरी स्तुति और आराधना करने का आनंद ले सकता हूं। मैं तुझसे प्यार करता हूँ!
प्रमुख पध
येशु ने उस से कहा, “ ‘अपने प्रभु परमेश्वर को अपने सम्पूर्ण हृदय, सम्पूर्ण प्राण और सम्पूर्ण बुद्धि से प्रेम करो।’