दृढ़ और साहसी
यहोशू परमेश्वर मे दृढ़ और साहसी व्यक्ति था जिसने अपने देश का जीत की और नेतृत्व किया और अपने लोगों के लिए परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा किया। परमेश्वर ने यहोशू से सफलता का वादा किया और उसे इसके लिए तैयार किया। हम यहोशू की सफलता के सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू कर सकते हैं और न केवल व्यक्तिगत जीत देख सकते हैं, बल्कि परमेश्वर के राज्य में उन्नति कर सकते हैं।
परमेश्वर की महानता का वादा
(1) प्रभु के सेवक मूसा की मृत्यु के पश्चात् प्रभु ने नून के पुत्र और मूसा के धर्म-सेवक यहोशुअ से कहा,
(2) ‘मेरे सेवक मूसा की मृत्यु हो गई। इसलिए अब तैयार हो, और सब इस्राएलियों के साथ इस यर्दन नदी को पार कर उस देश में जा जो मैं इस्राएली समाज को दे रहा हूँ।
(3) मैंने मूसा को वचन दिया था। अपने वचन के अनुसार जिस-जिस स्थान पर तुम्हारे पैर पड़ेंगे, वह मैं तुम्हें दूंगा।
(4) यह तुम्हारी राज्य-सीमा होगी: दक्षिण में मरुस्थल से उत्तर में लबानोन की पहाड़ियों तक, पूर्व में महानदी फरात और हित्ती जाति के समस्त देश से पश्चिम में भूमध्यसागर तक।
(5) जब तक तू जीवित है तब तक कोई भी व्यक्ति तेरा सामना नहीं कर सकेगा। जैसे मैं मूसा के साथ था वैसे ही मैं तेरे साथ रहूँगा। मैं तुझे निस्सहाय नहीं छोड़ूँगा। मैं तुझे नहीं त्यागूंगा।
(1) प्रभु के सेवक मूसा की मृत्यु के पश्चात् प्रभु ने नून के पुत्र और मूसा के धर्म-सेवक यहोशुअ से कहा,
(2) ‘मेरे सेवक मूसा की मृत्यु हो गई। इसलिए अब तैयार हो, और सब इस्राएलियों के साथ इस यर्दन नदी को पार कर उस देश में जा जो मैं इस्राएली समाज को दे रहा हूँ।.
मूसा के साथ यहोशू का क्या संबंध था?
परमेश्वर ने यहोशू को क्या भूमिका दी जिसे मूसा पूरा नहीं कर पाया?
(3) मैंने मूसा को वचन दिया था। अपने वचन के अनुसार जिस-जिस स्थान पर तुम्हारे पैर पड़ेंगे, वह मैं तुम्हें दूंगा।
(4) यह तुम्हारी राज्य-सीमा होगी: दक्षिण में मरुस्थल से उत्तर में लबानोन की पहाड़ियों तक, पूर्व में महानदी फरात और हित्ती जाति के समस्त देश से पश्चिम में भूमध्यसागर तक।
(5) जब तक तू जीवित है तब तक कोई भी व्यक्ति तेरा सामना नहीं कर सकेगा। जैसे मैं मूसा के साथ था वैसे ही मैं तेरे साथ रहूँगा। मैं तुझे निस्सहाय नहीं छोड़ूँगा। मैं तुझे नहीं त्यागूंगा।
यहोशू के लिए परमेश्वर का वादा क्या था? परमेश्वर ने उससे जो वादा किया था, उसकी सूचि बनाइये।
शक्ति और साहस के लिए परमेश्वर का आह्वान
(6) शक्तिशाली और साहसी बन! तू ही इस देश पर इस्राएलियों का अधिकार कराएगा। इस देश को प्रदान करने की शपथ मैंने इस्राएलियों के पूर्वजों से खाई थी।
(7) तू साहसी और शक्तिशाली बन! जिस व्यवस्था का आदेश मेरे सेवक मूसा ने तुझे दिया है, उसका पालन कर और उसके अनुसार कार्य कर। उस व्यवस्था से न दाहिनी ओर मुड़ना, और न बायीं ओर। तब तू जहाँ-जहाँ जाएगा, वहाँ-वहाँ सफल होगा।
(8) इस व्यवस्था-ग्रन्थ के शब्द तेरे मुंह से कभी अलग न हों। तू रात-दिन उसका पाठ करना, ताकि तू उसमें लिखी हुई सब बातों का पालन कर सके और उनके अनुसार कार्य कर सके। तब तू अपने मार्ग पर उन्नति करेगा, तू अपने कार्य में सफल होगा।
(9) स्मरण रख, मैंने तुझे यह आज्ञा दी है: “शक्तिशाली और साहसी बन! भयभीत मत हो! निराश मत हो!” जहाँ-जहाँ तू जाएगा, वहाँ-वहाँ मैं, तेरा प्रभु परमेश्वर, तेरे साथ रहूँगा।’
बताइए कि परमेश्वर ने यहोशू को कैसे प्रोत्साहित किया।
इस व्यवस्था-ग्रन्थ के शब्द तेरे मुंह से कभी अलग न हों। तू रात-दिन उसका पाठ करना, ताकि तू उसमें लिखी हुई सब बातों का पालन कर सके और उनके अनुसार कार्य कर सके। तब तू अपने मार्ग पर उन्नति करेगा, तू अपने कार्य में सफल होगा।
परमेश्वर के निर्देश क्या थे?
परमेश्वर के निर्देशों का पालन करने से कैसे यहोशू को मदद मिली?
परमेश्वर क्यों यहोशू को सफल होना देखना चाहता था?
यहोशू की प्रतिक्रिया और विजय
(10) तब यहोशुअ ने इस्राएली समाज के शास्त्रियों को यह आज्ञा दी,
(11) ‘पड़ाव में जाओ, और लोगों को यह आदेश दो, “अपने भोजन आदि का प्रबन्ध कर लो; क्योंकि तुम्हें तीन दिन के भीतर इस यर्दन नदी को पार करना है। तुम्हें उस देश पर अधिकार करने के लिए प्रवेश करना है, जिसको तुम्हारा प्रभु परमेश्वर तुम्हारे अधिकार में प्रदान कर रहा है।” ’
यहोशू की प्रतिक्रिया क्या थी?
(13) ‘जो आज्ञा प्रभु के सेवक मूसा ने तुम्हें दी थी, उसको स्मरण करो। उन्होंने कहा था; “तुम्हारा प्रभु परमेश्वर तुम्हें एक विश्राम-स्थल दे रहा है। वह तुम्हें यह देश प्रदान कर रहा है।”
(14) तुम्हारी पत्नी, बच्चे और पशु यर्दन नदी के इस पार की भूमि पर रहेंगे, जो मूसा ने तुम्हें दी है। किन्तु तुम्हारे सब बलवान पुरुष शस्त्र उठाकर अपने जाति-भाई-बन्धुओं के आगे-आगे यर्दन नदी पार करेंगे,
(15) जब तक प्रभु तुम्हारे जाति-भाई-बन्धुओं को भी तुम्हारे सामान विश्राम-स्थल न दे। जब उस देश की भूमि पर, जो प्रभु परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहा है, उनका अधिकार हो जाएगा, तब तुम अपने अधिकार क्षेत्र में लौट आना। तुम इस भूमि पर अधिकार करना, जो प्रभु के सेवक मूसा ने तुम्हें यहां यर्दन नदी के पूर्वी भाग में दी है।’
यह आपको यहोशू को घेरे रखने वाली आत्मिक शक्तियों के बारे में क्या बताता है?
किसने यहोशू को सफल बनाया और क्यों?
यहोशुअ 6:1-5 (HINDICL-BSI)
(1) इस्राएलियों के कारण यरीहो नगर में मोर्चाबन्दी कर ली गई। प्रवेश-द्वार बन्द कर दिए गए। कोई भी व्यक्ति नगर के भीतर न आ सकता था, और न नगर के बाहर जा सकता था।
(2) प्रभु ने यहोशुअ से कहा, ‘देख, मैं यरीहो नगर, उसके राजा और उसके योद्धाओं को तेरे हाथ में दे रहा हूँ।
(3) तू और तेरे सैनिक दिन में एक बार पूरे नगर की परिक्रमा करेंगे। तू छ: दिन तक ऐसा ही करना।
(4) सात पुरोहित मेढ़े के सींग से बने सात नरसिंघे लेकर विधान-मंजूषा के आगे-आगे जाएंगे। पर तुम सातवें दिन सात बार नगर की परिक्रमा करना और पुरोहित नरसिंघे फूंकें।
(5) वे अन्त में जोर से नरसिंघा फूंकें। ज्यों ही तुम नरसिंघे की आवाज सुनो त्यों ही सब लोग जोर से युद्ध का नारा लगाएं। तब यरीहो नगर का परकोटा धंस जाएगा, और हरएक व्यक्ति अपनी आंखों की सीध में चढ़ जाएगा।’
यहोशुअ 6:20 (HINDICL-BSI)
इस्राएली लोगों ने युद्ध का नारा लगाया। पुरोहितों ने नरसिंघे फूंके। जब उन्होंने नरसिंघे की आवाज सुनी तब जोर से युद्ध का नारा लगाया। उसी क्षण यरीहो नगर का परकोटा धंस गया। हरएक इस्राएली व्यक्ति अपनी आंखों की सीध में चढ़ गया। उन्होंने नगर पर अधिकार कर लिया।
यहोशुअ 6:27 (HINDICL-BSI)
प्रभु यहोशुअ के साथ था, और यहोशुअ की कीर्ति समस्त देश में फैल गई।
यरीहो को कैसे हराया गया?
परमेश्वर ने यहोशू को कैसे आशीष दिया?
पूछिए
परमेश्वर ने आपको अतीत में कैसे शक्ति और साहस दिया है?
किन क्षेत्रों में परमेश्वर आपको विजय और सफलता दे सकता है?
आवेदन
आप यहोशू की कहानी से खुद के जीवन के बारे में क्या सीख सकते हैं?
आपके अपने जीवन में कुछ ऐसा है जिसके लिए आपको साहस की आवश्यकता है?
प्रार्थना
प्रभु, मेरे जीवन मे जो चीजें आपने मुझे करने के लिए दी हैं, उन्हें करने के लिए साहस और शक्ति की प्रार्थना करता हूं । मेरे जीवन के लिए आपकी योजनओं का और आपके निर्देशों का विश्वासपूर्वक पालन करना चाहता हूं।
प्रमुख पध
स्मरण रख, मैंने तुझे यह आज्ञा दी है: “शक्तिशाली और साहसी बन! भयभीत मत हो! निराश मत हो!” जहाँ-जहाँ तू जाएगा, वहाँ-वहाँ मैं, तेरा प्रभु परमेश्वर, तेरे साथ रहूँगा।’