जब एक इमारत का निर्माण होता है, तो उसकी नींव पूरे ढांचे का वजन उठाती है।, इमारत जितनी लंबी होगी, नींव उतनी ही गहरी होनी चाहिए। और इसलिए जब हम एक मजबूत नींव (परमेश्वर का वचन) पर अपने जीवन का निर्माण करते हैं, तो हम जितना गहरा खोदेंगे, उतना ही अधिक वजन का समर्थन प्राप्त कर पाएंगे। इसलिए, हम जितना अधिक वचन पढ़ें, ध्यान करें, याद रखें, परमेश्वर के वचन का अभ्यास करें और इसे हमारे जीवन में लागू करें, हमारी नींव उतनी ही मजबूत होगी।
मसीही नींव के पत्थर – भाग 1
(9) हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं और आप लोग हैं — परमेश्वर का खेत। आप परमेश्वर का भवन भी हैं।
(10) परमेश्वर से प्राप्त अनुग्रह के अनुसार मैंने गृह निर्माण के कुशल कारीगर की तरह नींव डाली है। कोई दूसरा ही इसके ऊपर भवन का निर्माण कर रहा है। हर एक को सावधान रहना है कि वह किस तरह निर्माण करता है।
(11) जो नींव डाली गयी है, उसे छोड़ कर दूसरी नींव कोई नहीं डाल सकता, और वह नींव है येशु मसीह।
प्राथमिक आधार कौन है?
वे प्रेरितों की शिक्षा, सत्संग, रोटी तोड़ने एवं प्रार्थना में दत्तचित रहने लगे।
प्रेरितों और नबियों की शिक्षा एक महत्वपूर्ण आधार है।
विश्वासियों ने क्या किया?
क्या आप कलीसिया और एक कनेक्ट समूह के भाग हैं?
लूकस 14:28 (HINDICL-BSI)
“तुम में ऐसा कौन होगा, जो मीनार बनवाना चाहे और पहले बैठ कर खर्च का हिसाब न लगाए और यह न देखे कि क्या उसे पूरा करने की पूँजी उसके पास है?
लूकस 14:33 (HINDICL-BSI)
“इसी तरह तुम में से जो व्यक्ति अपना सब कुछ नहीं त्याग देता, वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता।
किसी भी भवन के निर्माण मे कीमत लगती है। क्या आपने इस लागत को गिना है?
(4) प्रभु वह जीवन्त पत्थर हैं, जिसे मनुष्यों ने तो बेकार समझ कर निकाल दिया, किन्तु जो परमेश्वर द्वारा चुना हुआ और उसकी दृष्टि में मूल्यवान् है। आप उनके पास आयें
(5) और जीवन्त पत्थरों के समान आत्मिक भवन में निर्मित हो जाएं। इस प्रकार आप पवित्र पुरोहित-वर्ग बन कर ऐसी आत्मिक बलि चढ़ा सकेंगे, जो येशु मसीह द्वारा परमेश्वर को स्वीकार हो।
हम कौन है? हम क्या बना रहे हैं?
(19) आप लोग अब परदेशी अथवा प्रवासी नहीं रहे, बल्कि सन्तों के सह-नागरिक तथा परमेश्वर के परिवार के सदस्य बन गये हैं।
(20) आप लोगों का निर्माण उस भवन के रूप में हुआ है, जो प्रेरितों तथा नबियों की नींव पर खड़ा है और जिसका कोने का पत्थर स्वयं येशु मसीह हैं।
(21) उन्हीं के द्वारा समस्त भवन संघटित हो कर प्रभु के लिए पवित्र मन्दिर का रूप धारण कर रहा है।
(22) उन्हीं के द्वारा आप लोग भी इस भवन में जोड़े जाते हैं, जिससे आप पवित्र आत्मा में परमेश्वर के लिए एक निवास स्थान बनें।
हम में कौन रहता है?
पूछिए
- इन नींव के पत्थरों ने आपकी अतीत में कैसे मदद की है?
- आज यह आपकी मदद कैसे कर सकता है?
आवेदन
- क्या मेरी नींव के ऐसे क्षेत्र हैं जो मजबूत हो सकते हैं?
- मैं इन क्षेत्रों को कैसे मजबूत कर सकता हूं?
- एक साथ मिलकर चर्चा और प्रार्थना करें।
मॉडल प्रार्थना
प्रभु यीशु, मैं एक मज़बूत नींव रखना चाहता हूं। मैं आपका वचन प्राप्त करने और इसे अपने जीवन में लागू करने के लिए दृढ़ हृदय मांगता हूँ। मैं चाहता हूं कि मेरा जीवन हर रोज मजबूत हो और आनंद से भरा हो।
प्रमुख पध
“सो जैसे तुम ने मसीह यीशु को प्रभु करके ग्रहण कर लिया है, वैसे ही उसी में चलते रहो। और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ; और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्त धन्यवाद करते रहो।”